नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के बीच इंडियन प्रीमियर लीग के आयोजन में अरबों रुपए खर्च करने वाली बीसीसीआई के पास घरेलू स्तर पर पैसों के लाले पड़ गए हैं। इस बात का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि बोर्ड ने बिना कारण बताए अपने 11 कोच को हटाने का फैसला लिया है। एनसीए के हेड कोच राहुल द्रविड़ ने इन्हें पिछले हफ्ते फोन कर इस बात की जानकारी दी है। 

कोरोना वायरस महामारी से देश का हर सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। भारतीय अर्थव्यवस्था को निगलती जा रही इस महामारी ने अपने चपेट में दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई को भी ले लिया है। इस महामारी के बीच भी आईपीएल जैसे लीग का आयोजन सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए बोर्ड ने बायो-सेक्योर बबल तक तैयार कर लिया है। इस महामारी के वजह से फरवरी के बाद से भारत में कोई मैच नहीं हुए हैं और इसका कीमत कोचों को अपनी नौकरी गंवाकर चुकाना पड़ रहा है।

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक बीसीसीआई ने खर्च में कटौती के लिए राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) के 11 कोचों की छंटनी कर दी है। बोर्ड ने इनका वार्षिक अनुबंध आगे नहीं बढ़ाया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान व एनसीए के हेड कोच राहुल द्रविड़ ने पिछले हफ्ते इन 11 कोचों को फोन कर इस बात की जानकारी दी। द्रविड़ ने ही इन कोचों को चुना भी था। 

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पांच भारतीय खिलाड़ी शामिल 

हटाए गए इन 11 कोचों में पांच भारत के पूर्व खिलाड़ी हैं, जिनमें रमेश पवार, एसएस दास, ऋषिकेश कानितकर, सुब्रतो बनर्जी और सुजीत सोमसुंदर शामिल हैं। सभी कोचों को 30-55 लाख रुपए तक के वेतन पर एक साल के अनुबंध पर नियुक्त किया गया था। यह अनुबंध इस महीने खत्म होने जा रहा है। हालांकि बोर्ड की ओर से इस बाबत कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

पहले नहीं थी सूचना

रिपोर्ट में कुछ कोचों के हवाले से बताया गया है कि उन्हें इस बात की जानकारी पूर्व में नहीं दी गई थी और अचानक फोन कर हटाने का फैसला सुना दिया गया। इस दौरान न ही उन्हें हटाए जाने का वास्तविक कारण बताया गया जबकि पिछले तीन महीनों से वह वेबिनार के जरिए आगे की चीजों का प्लान कर रहे थे और अचानक कह दिया गया कि बोर्ड को अब उनकी कोई जरूरत नहीं है। हालांकि यह बताते हुए द्रविड़ ने उनसे यह भी कहा कि मैने आप लोगों को बनाए रखने की पूरी कोशिश की पर कुछ कर नहीं पाया।