नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट का दौर बदस्तूर जारी है। भारतीय रुपया गुरुवार को पहली बार 80.47 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक गिर गया। यह रुपये का सार्वकालिक निचला स्तर है। बुधवार को एक डॉलर की कीमत 79.98 रुपये थी। उधर डॉलर 20 साल के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में ताजा गिरवाट की वजह वजह यूएस फेड के द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाया जाना है। बुधवार को यूएस फेड ने मंहगाई को नियंत्रित करने के 0.75 बेसिस प्वाइंट ब्याज दर बढ़ाया था। इससे पहले जुलाई में भी यूएस फेड के द्वारा ब्याज दरों में इजाफा किया गया था।

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रुपए की यह स्थिति तब है जब रुपये को मजबूत बनाने के लिए रिजर्व बैंक ने जुलाई में 19 अरब डॉलर के रिजर्व को बेच दिया था। ताकि आर्थिक मोर्चे पर सकारात्मक खबर मिले और रुपया मजबूत हो। लेकिन मौजूदा स्थिति देखकर स्पष्ट है कि इसका भी कोई फायदा नहीं मिला। नतीजतन रुपए आए दिन रसातल में जा रही है। रुपए का इस तरह गिरना भारतीय अर्थव्यवस्था लिए खतरनाक संकेत है।

रुपए में गिरावट के कारण केंद्र सरकार को कच्चे तेल के लिए अधिक खर्च करने पड़ेंगे, जिसका सीधा असर इनकी कीमतों पर होगा। पेट्रोलियम महंगा होने से आपके घर का बजट बिगड़ सकता है। इसके अलावा विदेश में पढ़ाई, यात्रा, दलहन, खाद्य तेल, कंप्यूटर, लैपटॉप, सोना, दवा, रसायन, उर्वरक और भारी मशीन, जिनका आयात किया जाता है, वह महंगे हो सकते हैं।