हरियाणा के कई जिलों में टमाटर की बंपर फसल पैदा होने के बाद भी किसान दुखी हैं। किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है। जिसकी वजह से किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। हरियाणा के तोशाम समेत कई इलाकों में यह दूसरा साल है जब यह स्थिति निर्मित हुई है। पिछले साल भी कोरोना लॉकडाउन की वजह से किसानों की लाखों की टमाटर की खेती के उचित दाम नहीं मिले थे।  तब भी फसल रखे रखे खराब हो गई थी। गुस्साए किसानों ने सड़कों पर टमाटर फेंक दिए थे। वहीं हाल इस साल भी है। तोशाम के अलावा चरखी दादरी के कई क्षेत्रों में किसानों के यही हाल है।

टमाटर के उचित रेट नहीं मिलने से खासी नाराजगी है। किसानों ने चरखी दादरी तोशाम इलाकों में कई क्विंटल टमाटर सड़कों पर फेंक दिए। गौरतलब है कि टमाटर उत्पादक किसानों को पिछले साल की ही तरह इस साल भी नुकसान सहना पड़ा है, जिसकी भरपाई नहीं हो पा रही है।

किसानों का आरोप है कि उनकी खून पसीने की कमाई को कौड़ियों के दाम में खरीदा जा रहा है। किसानों की मानें तो महीने भर पहले टमाटर काफी महंगे दामों में बिक रहा था। टमाटार के दाम आसमान छू रहे थे, लेकिन किसानों की फसल मंडियों में पहुंचते ही दामों में भारी गिरावट हो गई। किसानों ने सरकार पर शोषण का आरोप लगाया है। किसानों का कहना है कि सस्ते में फसल बिकने की वजह से उनके भूखों मरने की नौबत आ गई है। उन्हें किसी तरह की कोई आर्थिक मदद सरकार की ओर से नहीं मिल रही है।