भोपाल। कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर अपनी कोई भी राय बनाने से पहले आपको मक्के की खेती करने वाले इस किसान को ज़रूर सुनना चाहिए। ताकि सरकार के आसमानी दावों और ज़मीनी हकीकत के बीच लंबे फासले को समझ सकें। मध्य प्रदेश के रतलाम निवासी डीपी धाकड़ मक्का उगाते हैं। इस वर्ष उन्होंने बड़ी उम्मीद के साथ मक्के की खेती की थी। लेकिन अपनी ही उपज के ऊपर बैठे इस किसान की तस्वीर से यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि आखिर देश भर के किसानों और विशेषकर मध्यप्रदेश के किसानों की वास्तविक स्थिति क्या है ? 

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डीपी धाकड़ का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार किसान सम्मेलनों के जरिए कृषि कानूनों का समर्थन कर रही है और जो लोग बीजेपी के कार्यकर्ता बनकर उनमें शामिल हो रहे हैं, वे मेरा अनुभव सुन लें। 1830 रुपए मक्का का समर्थन मूल्य है, लेकिन 700 - 800 रुपए में इसे कोई खरीदने को तैयार नहीं है। बताइए मध्य प्रदेश सरकार सही है या दिल्ली में बैठे किसान ? हम कहाँ जाएं और किसका समर्थन करें ? 

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किसान का कहना है कि मक्के की फसल तैयार करने में लगभग 1300 रुपए प्रति क्विंटल की लागत आती है। लेकिन मौजूदा समय में मक्के की फसल 800 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर भी बिक नहीं रही है। ऐसे में लागत पर मुनाफा तो दूर, किसान अपनी लागत भी वसूल नहीं कर पा रहे हैं और घाटा उठाकर फसल बेचने को मजबूर हैं।