भोपाल। मध्यप्रदेश उपचुनाव के नतीजे थोड़े देर में आने शुरू हो जाएंगे। इस उपचुनाव के 28 सीटों में सियासत का केंद्र बिंदु बन चुके भांडेर के नतीजों को लेकर सियासी जानकारों में सबसे ज्यादा उहापोह की स्थिति है। कांग्रेस द्वारा आरक्षित सीट भांडेर से फूल सिंह बरैया को अपना उम्मीदवार बनाने के बाद यहां का मुकाबला इसलिए रोचक हो गया है, क्योंकि बरैया ने चुनाव के दौरान विरोधियों को जनता के पैरों में गिरने तक के लिए मजबूर कर दिया था।

भांडेर निर्वाचन क्षेत्र में एक लाख 70 हजार से ज्यादा मतदाता हैं। इनमें से 91,496 पुरुष हैं वहीं महिला व अन्य मतदाताओं की संख्या 78,941 है। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भांडेर में उपचुनाव के दौरान 71.32 फीसदी वोटिंग हुई है। इसके मुताबिक तकरीबन 1 लाख 21 हजार लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किए हैं।

परंपरागत रूप से बीजेपी की सीट रही भांडेर से कांग्रेस ने जब साल 2018 में रक्षा सिरोनिया को अपना उम्मीदवार बनाया था, तब वह बीजेपी प्रत्याशी रजनी प्रजापति को 40 हजार के रिकॉर्ड मतों से हराने में सफल हुई थीं। जानकारों की मानें तो इस बड़ी जीत में फूल सिंह बरैया का अहम योगदान था। चूंकि क्षेत्र में खासा दबदबा रखने वाले बरैया ने चुनाव के आठ महीने पहले बसपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था। ऐसे में भांडेर से पूर्व में विधायक रह चुके बरैया के समर्थकों ने सिरोनिया को वोट दिया था नतीजतन वह बीजेपी के गढ़ में रिकॉर्ड वोट से जीतने में सफल हुई थीं।

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इस बार के उपचुनाव में इस सीट का सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल गया है। इस बात का अंदाजा इन तस्वीरों से लगाई जा सकती है जो चुनाव प्रचार अभियान के दौरान सोशल मीडिया पर छाई रही। इन तस्वीरों में बीजेपी उम्मीदवार रक्षा सिरोनिया के पति संतराम सिरोनिया किसी के पैरों में लेटकर वोट मांग रहे तब तो किसी के सिर से सिर सटाकर उसे असहज करते नजर आ रहे थे। यह तस्वीरें लोगों के लिए नई इसलिए थी क्योंकि जब उनकी पत्नी विधायक थी तब वह दतिया के एसडीएम जेपी गुप्ता पर दादागिरी दिखाते हुए उनके दफ्तर में घुसकर हंगामा करने से भी बाज नहीं आते थे।

जानकारों का मानना है कि सिरोनिया के खिलाफ बरैया की उम्मीदवारी के बाद समीकरण बदलना स्वाभाविक है। जहां एक ओर बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद सिरोनिया का क्षेत्र में लगातार विरोध हो रहा है वहीं दूसरी ओर बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता उनसे खफा हैं। इसके अलावा इस सीट से बसपा के उम्मीदवार को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

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क्या है जातिगत समीकरण ?

भांडेर विधानसभा क्षेत्र के जातिगत आंकड़े बेहद महत्वपूर्ण हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 30.3 प्रतिशत वोटर अनुसूचित जाति के हैं। इसके बाद यादव 16.5 फीसदी, दांगी 15.1 फीसदी, ब्राह्मण 9.5 फीसदी और 4 फीसदी वोट ठाकुरों के हैं। भांडेर के बारे मे एक दिलचस्प बात यह भी है कि साल 1962 से 1993 तक यहां की जनता ने किसी भी विधायक को दूसरी बार नहीं चुना था।

बीएसपी बिगाड़ सकती है कांग्रेस का खेल

भांडेर उपचुनाव में बीएसपी कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है। बीएसपी ने क्षेत्र के दिग्गज उम्मीदवार महेंद्र बौद्ध को अपना उम्मीदवार बनाया है। बौद्ध कांग्रेस पार्टी से अपना टिकट चाहते थे लेकिन बरैया की उम्मीदवारी के एलान के बाद नाराज होकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी और बसपा का दामन थाम लिया। यही नहीं, वो बसपा के उम्मीदवार बन कांग्रेस को चुनौती देने मैदान में भी आ गए।