भोपाल। गणतंत्र दिवस से पहले भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने एक आदेश जारी कर शहर में प्लास्टिक के झंडों की बिक्री पर रोक लगा दी है। प्लास्टिक के झंडों की बिक्री पर रोक लगाने से पहले कलेक्टर ने इस आदेश को पर्यावरण के लिए ज़रूरी बताया। साथ ही यह भी कहा कि प्लास्टिक के झंडे बेचने वाले व्यक्ति पर कड़ी कार्रवाई की जाए। 

अविनाश लवानिया ने प्लास्टिक के झंडों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए सभी निगम अधिकारियों तथा राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने कहा है कि पर्यावरण की सुरक्षा करने के लिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। लवानिया ने गणतंत्र दिवस पर बिक्री किए जाने वाले झंडों को लेकर भी कहा है कि राष्ट्रीय ध्वज का आकार उपयुक्त होना चाहिए। लवानिया ने विक्रयकर्ता को झंडे की ज़रूरी चौड़ाई और लंबाई की जानकारी भी दिए जाने के लिए कहा है। 

कलेक्टर की लोगों को जागरूक करने की पहल तो समझ में आती है, लेकिन प्लास्टिक के झंडों की बिक्री पर जिस तरह अंतिम समय में रोक लगाई गई है, उससे सबसे ज्यादा नुकसान तो छोटे खुदरा विक्रेताओं या फुटपाथ और ट्रैफिक सिग्नल पर घूम-घूमकर झंडे बेचने वाले गरीबों को ही होगा। अगर सरकार मानती है कि प्लास्टिक के झंडे पर्यावरण के लिए नुकसानदेह हैं तो उनके उत्पादन पर रोक लगाना क्या ज्यादा कारगर नहीं होता? अगर यह नीति काफी पहले से लागू कर दी जाती तो भी उन खुदरा विक्रेताओं को नुकसान नहीं होता जो अब तक प्लास्टिक के झंडे थोक विक्रेताओं से खरीद चुके होंगे। पहले से रोक लगने पर वे शायद खादी या दूसरे कपड़ों के बने झंडे खरीदते-बेचते जिससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहता और उनकी रोजी-रोटी पर भी चोट नहीं लगती।