कहने को तो वे कोरोना योद्धा हैं जो कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। उम्‍मीद की जाती है कि सरकार इन कोरोना योद्धाओं का ख्‍याल रखेगी मगर उनके भविष्‍य की फिक्र करना तो दूर कोरोना योद्धाओं को पीपीई किट भी नहीं दी गई। उन्‍हें पीपीई किट के बदले प्‍लास्टिक की ड्रेस पहने को दे दी। भीषण गर्मी में प्‍लास्टिक पहने ड्यूटी कर रहे ठेका श्रमिक बीमार हो गए हैं। शहर के सबसे बड़े हमीदिया अस्‍पताल के बाहर रो रही महिला कर्मचारी की पीड़ा सरकार तक पहुंची नहीं है। इनकी पीड़ा को सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. आनंद राय द्वारा ट्वीट किए गए वीडियो में देखा जा सकता है।





 



हम समवेत ने पड़ताल की तो पाया कि हमीदिया अस्पताल के कोरोना वार्ड में सफाई में लगे ठेका कर्मचारियों को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट किट यानि पीपीई किट की जगह प्लास्टिक की पन्नी पहना दी गई। भीषण गर्मी में जब भोपाल का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया तब पन्नी पहनने कर काम कर रहे 8 महिलाओं समेत एक दर्जन से अधिक ठेका कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ गई। कुछ ठेका मजदूर बेहोश होकर गिर गए वहीं कुछ सफाईकर्मियों को डिहाइड्रेशन हो गया।



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इन सफाई कर्मचारियों का इलाज कर रही नर्सिंग सिस्टर इंचार्ज मीना हर्वट का कहना है कि ये सभी अस्पताल से सफाई का काम करते हैं। पीपीई किट प्लास्टिक की थी तेज गर्मी के कारण इनकी हालत खराब हो गई। फिलहाल इनका इलाज जारी है। ये सभी ठेका कर्मचारी दिल्ली की यूडीसी कंपनी के माध्यम से यहां काम में लगे हैं। कंपनी की ओर से इन्हे कोई सुरक्षा किट नहीं उपलब्ध करवाई गई थी।