रेपुरा मामले में बैकफुट पर सरकार, रेंजर को किया सस्पेंड, लिखित आश्वासन के बाद धरने से उठे दिग्विजय सिंह

सुरखी के रेपुरा गांव में पीड़ितों के साथ धरने पर बैठ गए थे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, जिला कलेक्टर ने मानी गलती, लिखित में दिया सभी मांगें पूरी करने का आश्वासन

Updated: Jun 22, 2023, 07:49 PM IST

सागर। सागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र के रैपुरा गांव में दलित समाज के लोगों के घर तोड़े जाने के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। बुधवार को हुई इस कार्रवाई के विरुद्ध पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह गुरुवार को पीड़ितों के साथ धरने पर बैठ गए। सिंह के अल्टीमेटम के बाद अब राज्य सरकार बैकफुट पर नजर आई। प्रशासन द्वारा सभी मांगें मानने संबंधी लिखित आश्वासन मिलने के बाद ही सिंह धरने से उठे।

दरअसल, सागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत रेपुरा गांव में वन विभाग की टीम ने दलित समुदाय के लोगों के 10 से ज्यादा मकानों पर बुलडोजर चला दिया था। घटना की जानकारी मिलते ही गुरुवार दोपहर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। इस दौरान वे पीड़ितों के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए थे। सिंह ने अल्टीमेटम दिया कि जबतक पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता वे धरने से नहीं उठेंगे।

मामला बिगड़ता देख कलेक्टर दीपक आर्य, एसपी अभिषेक तिवारी और डीफओ महेंद्र प्रताप सिंह भी मौके पर पहुंच पहुंचे। इस दौरान सिंह ने प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से राज्य सरकार से मांग की थी कि जिनके मकान टूटे हैं, उनके नुकसान की हो भरपाई करने के लिए राज्य सरकार मुआवजा दे। पीड़ितों को प्लॉट दिए जाएं और प्लॉट पर मकान बनाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना से राशि मुहैया कराई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक आवास का पुख्ता इंतजाम ना हो जाए, पीड़ितों के रहने के लिए अस्थाई इंतजाम सरकार करे और पीड़ित परिवारों के सदस्यों के लिए भोजन पानी की भी व्यवस्था हो।

दिग्विजय सिंह ने मौके पर ही अधिकारियों को जमकर फटकार भी लगाया। सागर कलेक्टर ने मामले में प्रशासन की गलती स्वीकारते हुए दिग्विजय सिंह की सभी मांगें मान ली है। कलेक्टर ने इस संबंध में बकायदा लिखित आश्वासन दिया है। इसके अलावा रेंजर लखन सिंह ठाकुर को भी सस्पेंड कर दिया गया है। अधिकारियों के लिखित आश्वासन के बाद ही दिग्विजय सिंह धरने से उठे और देर शाम भोपाल के लिए रवाना हुए।

इससे पहले दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि स्थानीय विधायक व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के कहने पर दलितों के खिलाफ ये कार्रवाई की गई है। दरअसल, दिग्विजय सिंह को ग्रामीणों ने बताया कि वे 50 साल से अधिक से यहां रह रहे थे। प्रशासन ने बुधवार को बिना नोटिस दिए सीधे घर और गृहस्थी पर बुलडोजर चला दिया। गृहस्थी का सामान तक नष्ट कर दिया। सामान निकालने तक का मौका नहीं दिया। पीड़ितों ने सीधे तौर पर सिंधिया खेमे के मंत्री गोविंद राजपूत को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने सिंह से कहा कि परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के इशारे पर बारिश के मौसम में उनके सिर से छत छीन ली गई। 

बहरहाल मामले में दिग्विजय सिंह की एंट्री के बाद मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को भी सफाई देनी पड़ी। सिंधिया खेमे के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि रेपुरा में पीएम आवास योजना के तहत बने मकान तोड़े गए हैं।