भोपाल। मध्य प्रदेश चाइल्ड ट्रैफिकिंग का केंद्र बना हुआ है। कोरोना काल के दौरान साल 2021 में प्रदेश में औसतन 29 बच्चे प्रतिदिन लापता हुए हैं। लापता होने वाले बच्चों में 83 फीसदी से अधिक लड़कियां शामिल हैं। यह दावा चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY) की 'स्टेट्स रिपोर्ट ऑन मिसिंग चिल्ड्रन' में किया गया है।

बाल अधिकार को लेकर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था CRY के मुताबिक वर्ष 2021 में मध्य प्रदेश में लापता होने वालों में लड़कों के मुकाबले पांच गुना लड़कियां हैं। अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस (25 मई) के मद्देनजर जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में साल 2021 में 10 हजार 648 बच्चे लापता हुए हैं। 2020 से तुलना की जाए तो मप्र में बच्चों के गुमशुदा होने के मामले करीब 26 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई।

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CRY (North) की रीजनल डायरेक्टर सोहा मोइत्रा बताती हैं कि ‘मप्र में 2021 में लापता होने वाले बच्चों में 83 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियां हैं। पिछले साल मप्र में लापता लड़कियों के 8,876 मामले दर्ज हुए। यह बहुत चिंता का विषय है कि पिछले लगातार पांच सालों से लापता होने वालों में लड़कियों का अनुपात लगातार बढ़ता जा रहा है।’

मोइत्रा आगे कहती हैं, “इस स्टेटस रिपोर्ट में NCRB के डाटा का गहन विश्लेषण किया गया है, इसमें सामने आया कि पूरे भारत में लड़कियों के लापता होने के मामले साल 2016 में 65% से आनुपातिक रूप से बढ़कर 2020 में 77% तक पहुंच गए हैं। मध्य प्रदेश में लापता बच्चों में लड़कियों का अनुपात सबसे ज्यादा है।“

मोइत्रा आगे कहती हैं, “लापता होने वालों में लड़कियों की ज्यादा संख्या की वजह घरेलू कामकाज में उनकी मांग, व्यावसायिक देह व्यापार हो सकता है और कई बार लड़कियां घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार और उपेक्षा का शिकार होकर मजबूरन घर से दूर भाग जाती हैं। महामारी के दौरान असंगठित क्षेत्र में सस्ते कामगारों की कमी के कारण बाल मजदूरी की मांग बढ़ी है, ऐसे में लापता लड़कों की संख्या भी चिंता का विषय है।“

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मध्य प्रदेश में लापता बच्चों के मामले में शीर्ष 5 जिलों में इंदौर सबसे ऊपर है। सबसे स्वच्छ शहर का तमगा जितने वाले इंदौर में कुल 872 बच्चे लापता हुए जिनमें 698 लड़कियां और 174 लड़के शामिल हैं। दूसरे नंबर पर राजधानी भोपाल है। यहां कुल 584 केस आए, जिसमें 405 लड़के और 179 लड़कियां हैं। तीसरे नंबर पर धार जिला है। यहां 480 बच्चे लापता हुए जिनमें 451 लड़कियां और 29 लड़के शामिल हैं। चौथा स्थान संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर की है। यहां साल 2021 में 464 बच्चे लापता हुए जिनमें 360 लड़कियां और 104 लड़के शामिल हैं। रीवा पांचवें स्थान पर है। यहां 392 बच्चे अपह्त हुए जिनमें 285 लड़कियां और 107 लड़के शामिल हैं।