भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। मध्य प्रदेश NSUI के प्रदेश प्रवक्ता सुहृद तिवारी ने दावा किया है कि राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कुर्सी, टेबल, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खरीद में अधिकारियों द्वारा बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। तिवारी ने इस मामले में राज्यपाल को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है।



विधायक खरीदने की कीमत चुका रहे हैं छात्र : NSUI



एनएसयूआई नेता सुहृद तिवारी ने आरोप लगाया है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे बीजेपी नेताओं के संरक्षण में सारा घोटाला हो रहा है। तिवारी ने ट्वीट किया है, 'विधायक खरीदने की कीमत चुका रहा है प्रदेश का छात्र। सत्तारूढ़ भाजपा ने छात्रों के भविष्य की बेहतरी के लिए विश्व बैंक परियोजना (रूसा) द्वारा दिये जाने वाले पैसे को विधायक खरीदी में खर्च पैसे से इकट्ठा करना शुरू किया, इसी विषय में उच्चस्तरीय जांच की मांग के लिए राज्यपाल को ज्ञापन दिया।'



 





तिवारी ने आगे कहा है कि सीएम शिवराज और सिंधिया के संरक्षण के बिना यह कार्य संभव नहीं है। उन्होंने लिखा कि, 'शिव ज्योति एक्सप्रेस के संरक्षण के बिना संभव नही है ये क्योंकि सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा वहीं हुआ जहाँ के या तो विधायक खरीदे गए हैं या फिर भाजपा के बड़े खरीददार थे। उदाहरण-दमोह, दतिया।' बता दें कि दतिया गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का गृहक्षेत्र है।



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महामहिम को संबोधित ज्ञापन में तिवारी ने कहा है कि है कि प्रदेश के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को विश्व बैंक परियोजना के तहत कुर्सी, टेबल, कंप्यूटर, स्मार्ट क्लासेस का सामान खरीदने के लिए ग्रांट मिली थी। लेकिन विश्वविद्यालय के अधिकारियों और प्राचार्यों ने मिलकर इस राशि के फण्ड की जमकर बंदरबांट की है और शासन को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है।



तिवारी ने आरोप लगाते हुए कहा कि फण्ड की इस बंदरबांट में न सिर्फ महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के प्राचार्य, अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं बल्कि इसमें उच्च शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग और अन्य सभी शिक्षा विभाग से संबंधित लोग शामिल हैं।'



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गौरतलब है कि भोपाल की तीन कंपनियों एबोट एसएन फर्नीचर, इम्प्रेशन फर्नीचर और बालाजी के खिलाफ सरकारी प्रक्रिया का पालन न करने पर भुगतान रोकने की कार्रवाई हुई है। इस बारे में तिवारी का कहना है कि यह तो इस पूरे खेल का 5 फीसदी भी नहीं है। इसमें कई बड़े मगरमच्छों का हाथ है, जो पर्दे से पीछे से ऐसी छद्म कंपनियां बनवाकर घोटाले करवाते हैं। बाद में उनके ब्लैकलिस्टेड होने पर दूसरे, तीसरे नाम से नई कंपनियां बनवाकर घोटाले जारी रखते हैं।