पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक बन गया है। भारत सरकार ने जिले के विश्वप्रसिद्ध प्राकृतिक हीरों को आधिकारिक तौर पर जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग प्रदान कर दिया है। यह उपलब्धि हासिल करने वाला पन्ना का हीरा राज्य का 21वां GI उत्पाद बन गया। दो वर्षों से लंबित यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद पन्ना का नाम अब वैश्विक मंच पर एक प्रमाणित और विशिष्ट पहचान के साथ दर्ज हो गया है। इसकी वजह से प्रदेश को आर्थिक, औद्योगिक और रोजगार संबंधी अनेक फायदे मिलने की उम्मीद है।
GI टैग की आधिकारिक घोषणा चेन्नई स्थित कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट, डिजाइन एंड ट्रेडमार्क द्वारा जारी की गई। GI रजिस्ट्री में यह आवेदन 7 जून 2023 को किया गया था जिसे ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी, लखनऊ/वाराणसी की तकनीकी सहायता से तैयार किया गया था। इस प्रक्रिया में जिला प्रशासन, हीरा खनन विभाग, मध्य प्रदेश सरकार और पद्मश्री डॉ. रजनी कांत सहित कई संस्थाओं का सहयोग महत्वपूर्ण रहा।
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पन्ना के हीरों को GI टैग मिलने का सबसे बड़ा प्रभाव उनकी कीमत, विश्वसनीयता और वैश्विक ब्रांड वैल्यू पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में पन्ना का हीरा एक आधिकारिक मानक के साथ पहचाना जाएगा जिससे निर्यात में वृद्धि होगी और प्रदेश के राजस्व में बड़ा इजाफा संभव है। GI टैग मिलने के बाद कोई भी बाहरी हीरा अब पन्ना के नाम से बेचा नहीं जा सकेगा जिससे बाजार में कानूनी सुरक्षा और प्रामाणिकता सुनिश्चित होगी।
स्थानीय खनन क्षेत्र के लिए यह उपलब्धि एक नया आर्थिक अध्याय जोड़ने वाली है। पन्ना की खदानों पर निर्भर हजारों परिवारों, मजदूरों और कारीगरों को अब अधिक रोजगार के अवसर मिलेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रांड वैल्यू बढ़ने से स्थानीय स्तर पर हीरे की कटिंग-पॉलिशिंग यूनिटों, खनन गतिविधियों और व्यापार में तेजी आएगी जिससे सीधे तौर पर मजदूरों की आमदनी बढ़ेगी।
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पन्ना के हीरों की विशेषता उन्हें दुनियाभर के अन्य हीरों से अलग बनाती है। इन प्राकृतिक हीरों में ग्रीन स्टिंट यानी हल्का हरापन पाया जाता है जो समय के साथ गहरा होकर हीरे को और अधिक आकर्षक बनाता है। इनकी कार्बन लाइनिंग बेहद साफ दिखाई देती है जिसे आधार बनाकर ज्वैलर्स उत्कृष्ट डिजाइन तैयार करते हैं। यही विशिष्टताएं GI टैग मिलने की प्रमुख वजह बनीं। पन्ना की खदानों से तीन तरह के हीरे निकलते हैं। इनमें जैम क्वालिटी (सफेद रंग), ऑफ-कलर (हल्का मैला), और इंडस्ट्रियल क्वालिटी (कोका-कोला रंग) शामिल हैं। इनकी गुणवत्ता का निर्धारण हीरा कार्यालय के विशेषज्ञ चमक और संरचना के आधार पर करते हैं।
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जिले की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान लंबे समय से हीरों से जुड़ी रही है। पन्ना को डायमंड सिटी के नाम से पहचाना जाता है और यहां की खदानों ने कई साधारण परिवारों को रातोंरात समृद्ध बनाया है। पन्ना कलेक्टर उषा परमार ने इस उपलब्धि को जिले के लिए गर्वपूर्ण क्षण बताते हुए कहा कि GI टैग से व्यापार, पर्यटन और अंतरराष्ट्रीय पहचान बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पन्ना का हीरा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई चमक बिखेरेगा और यह टैग स्थानीय युवाओं, कारीगरों और अर्थव्यवस्था के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगा। पन्ना के लोगों में अत्यधिक उत्साह है क्योंकि वर्षों से चली आ रही मांग और अपेक्षा अब साकार हो चुकी है। सदियों से अपने बेशकीमती रत्नों के लिए जाने जाने वाले पन्ना जिले को अब एक ऐसी आधिकारिक पहचान मिल चुकी है जो आने वाले वर्षों में न केवल क्षेत्र की किस्मत बदलेगी बल्कि वैश्विक बाजार में भारत के प्राकृतिक हीरों की चमक को भी और अधिक बढ़ाने का काम करेगी।
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