72 घंटे बाद समाधि से बाहर आए स्वामी पुरुषोत्तमानंद, दावा- मां दुर्गा के साथ स्वर्ग लोक तक गया था

राजधानी भोपाल में समाधि लेने वाले बाबा पुरुषोत्तमानंद 72 घंटे बाद सकुशल बाहर आ गए हैं, उन्होंने बाहर आकर कहा कि तीन दिनों से सिर्फ उनका शरीर पृथ्वी पर था, जबकि आत्मा पूरी तरह भगवान के साथ थी।

Updated: Oct 03, 2022, 09:17 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज 3 दिन की भू-समाधि से सोमवार को सकुशल बाहर आ गए। बाबा जब समाधि से बाहर आए तो वह बिल्कुल स्वस्थ दिखे हैं। उन्होंने बाहर आकर कहा कि यह भक्ति की शक्ति है। बाबा के बाहर निकलते ही मंदिर परिसर जयकारों से गूंज उठा। उन्होंने दावा किया कि वे मां दुर्गा के साथ स्वर्ग लोक का भ्रमण करने गए थे।

दरअसल, साउथ टीटी नगर स्थित मां भद्रकाली विजयासन दरबार के स्वामी पुरुषोत्तमानंद महाराज ने प्रशासन ने भू समाधि के लिए अनुमति मांगी थी। प्रशासन की तरफ से अनुमति नहीं मिलने पर वह समाधि लेने की जिद पर अड़ गए थे। इसके बाद 30 सितंबर को उन्होंने समाधि ली थी। भू समाधि के लिए सात फीट गहरा गड्ढा खोदा गया था। विधि विधान से पूजन के बाद इसमें बाबा प्रवेश किए थे। इसके बाद ऊपर से लकड़ी रखा गया था। लकड़ी के ऊपर मिट्टी डालकर समाधि स्थल को ढक दिया गया था।

सोमवार सुबह सबसे पहले गड्‌ढे के ऊपर बिछाए गए लाल रंग के कपड़े को हटाया गया। इस कपड़े पर मिट्‌टी डाली गई थी। कपड़ा हटाते ही पटिए नजर आने लगे। 5 बाय 6 के गड्‌ढे में से 12 पटियों को हटाया गया। बाबा की पत्नी इस दौरान आरती की थाली लिए खड़ी रहीं। जैसे ही आगे के 4 पटिए हटाए गए, महाराज की पहली झलक दिखी। महाराज ध्यान मुद्रा में बैठे हुए थे। उनकी झलक दिखते ही जयकारे गूंजने लगे। भक्तों ने उन पर पुष्प वर्षा की। महाराज ने बैठे-बैठे हाथ जोड़कर अभिवादन किया। बाहर आते ही महाराज सबसे पहले विजयासन माता के दरबार में गए। यहां पर पूजा की।

बाबा ने मीडिया से बातचीत के दौरान दावा किया कि, 'समाधि के समय मां भगवती की कृपा से असीम शक्तियां मेरे शरीर में प्रवेश करती रहीं। मैं खुद नहीं समझ पा रहा था कि ये क्या हो रहा है। मेरे हृदय, मेरे मस्तिष्क पर सिर्फ माताजी का प्रभाव था। अंत में एक-एक कर जब सारी शक्तियां मुझमें आ गईं, तो माता स्वयं सिंह के रथ पर प्रकट हुईं। मुझे बुलाते हुए कहा- हे भक्त! तू मेरे साथ चल, तूने मेरे वचन का पालन किया है। तुझे स्वर्ग लोक की यात्रा कराती हूं। महाराज ने यह भी बताया उन्हें केसे नजारे दिखे।'

स्वामी पुरुषोत्तमानंद के बेटे मित्रेश कुमार ने बताया था कि समाधि के लिए उनके पिता ने 10 दिन पहले से अन्न त्याग दिया था और सिर्फ जूस ले रहे थे। बाबा 72 घंटे (3 दिन) तक जमीन के भीतर रहे और अष्टमी के दिन सुबह 11.10 बजे उनकी तपस्या पूरी हुई। समाधि के लिए बाबा पुरूषोत्तमानंद के घर के सामने साढ़े 7 फीट गहरा, 4 फीट चौड़ा और 6 फीट लंबा गड्ढा खोदा गया था।