RTI कानून का माखौल बना रही सरकार, दिग्विजय सिंह ने की सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने की मांग
विगत दो दशकों से प्रदेश के भ्रष्टाचार के जितने भी मामले उजागर हुये है। उनकी जानकारी RTI के माध्यम से जनता तक पहुँची है। भ्रष्टाचार को उजागर करने का यह शाक्तिशाली माध्यम है, जिसकी धार राज्य सरकार कम करना चाहती है: दिग्विजय सिंह
भोपाल। मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग में लंबे समय के बाद मुख्य सूचना आयुक्त और तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां हुई हैं। हालांकि, 6 पद अभी भी रिक्त हैं जिसके कारण द्वितीय अपील और शिकायतों पर निर्णय नहीं हो पा रहे हैं। अबतक लगभग 16 हजार मामले लंबित हो चुके हैं लगभग 16 हजार मामले लंबित हो चुके हैं। इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्य सरकार पर हमला बोला है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि मध्य प्रदेश में सूचना के अधिकार का उपयोग कर शासकीय विभागों से जानकारी प्राप्त करने की जद्दोजहद करने वाले भटक रहे है, क्योंकि राज्य सरकार सूचना आयुक्तों के रिक्त सभी पदों को भरने में रूचि नहीं दिखा रही है। सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि शीघ्र बैठक कर सूचना आयुक्त के सभी रिक्त 6 पद भरे जाये।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सन् 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम पूरे देश में लागू कर शासन-प्रशासन में पारदार्शिता लाने का ऐतिहासिक कदम उठाया गया था। इस कानून के पालन में राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों में मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की जानी थी। यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि सूचना का अधिकार कानून लागू होने के बाद से विगत 20 वर्षों में राज्य सरकार सूचना आयुक्तों के सभी 10 पद एक साथ नहीं भर सकी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी पिछले सप्ताह तक प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त सहित दस पद मार्च 2024 से रिक्त थे। रिक्त पदों के चलते आज प्रदेश में भ्रष्टाचार से जुड़ी 15 हजार से अधिक शिकायतें राज्य सूचना आयुक्त कार्यालय में लंबित है। शासन के जिम्मेदार अधिकारी जब शासकीय कामकाज से जुड़ी जानकारी आवेदक को नहीं देते है तो वह राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष अंतिम अपील करना चाहता है। जहां से मेरिट के आधार पर जानकारी देने के संबंध में आदेश पारित होते हैं।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बताया कि विगत दो दशकों से प्रदेश के भ्रष्टाचार के जितने भी मामले उजागर हुये है। उनकी जानकारी आर.टी.आई. के माध्यम से जनता तक पहुँची है। भ्रष्टाचार को उजागर करने का यह शाक्तिशाली माध्यम है, जिसकी धार राज्य सरकार कम करना चाहती है। सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि दो बार प्रकाशित विज्ञापन एवं उच्च न्यायालय के निर्देश के पालन में शासन को प्राप्त दो सौ से अधिक बार आवेदनों पर विचार कर सभी रिक्त पद समयसीमा तय करते हुए भरे जायें।
सिंह ने कहा कि शासन के पास पर्याप्त संस्था में सेवानिवृत्त न्यायधीश, भारतीय / राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सहित सामाजिक कार्यकर्ता पर पत्रकारों के आवेदन लंबित होकर अनिर्णित है। पिछले 5 महीनों से सूचना आयोग में सभी पदों के खाली होने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर हुई थी। जिसके बाद पिछले सोमवार को नियुक्ति के लिए मंत्रालय में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक बुलाई गई थी। इसमें मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए 59 और सूचना आयुक्त पद के लिए प्राप्त 185 आवेदनों पर चर्चा हुई थी। इसके बाद नियुक्तियां की गई। लेकिन 6 पद अभी भी रिक्त हैं। पूर्व सीएम ने रिक्त पदों को लेकर तत्काल निर्णय लेने की मांग की है।