2021 में वायु प्रदूषण से देश में 1 लाख 70 हजार बच्चों की मौत, हर दिन औसतन 464 बच्चों ने गंवाई जान: रिपोर्ट

वायु प्रदूषण से कैंसर रोगियों में हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य असमानताएं बढ़ सकती हैं और मौत हो सकती है।

Updated: Jun 21, 2024, 01:13 PM IST

नई दिल्ली। वायु प्रदूषण (Air Pollution) पूरी दुनिया के लिए बड़ी समस्या बनता जा रहा है। भारत की बात करें तो देश के कई बड़े शहरों में सांस लेना भी मौत को दावत देने जैसा है। वायु प्रदूषण को लेकर स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में भारत में वायु प्रदूषण के चलते करीब 170,000 बच्चों की मौत हुई जिनकी उम्र पांच वर्ष से कम थी।

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट के मुताबिक हवा में प्रदूषण के कारण साल 2021 में दुनियाभर में 81 लाख लोगों की मौत हो गई है, जिसमें से सिर्फ भारत में ही 21 लाख लोगों की जान गई है। यानी देश में वायु प्रदूषण के कारण प्रतिदिन पांच हजार सात सौ से अधिक लोग जान गंवा रहे हैं। ये चौंकाने वाली रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर’ (SoGA) ने  UNICEF के साथ मिलकर बनाया गया है। 

इस रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण की चपेट में आकर साल 2021 में भारत में पांच वर्ष से कम आयु के 1,69,400 बच्चों की मौत हुई। यानी भारत में रोजना औसतन 464 बच्चों की मौत वायु प्रदूषण से हो रही है। नाइजीरिया में 1,14,100 बच्चे, पाकिस्तान में 68,100, इथियोपिया में 31,100 और बांग्लादेश में 19,100 बच्चों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई।

रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण एशिया में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण है। इसके बाद उच्च रक्तचाप, आहार और तम्बाकू सेवन का स्थान आता है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘2021 में वायु प्रदूषण से होने वाली मौत के मामलों की संख्या किसी भी पिछले वर्ष के अनुमान से ज़्यादा रही। एक अरब से ज्यादा आबादी वाले भारत (21 लाखों मौत) और चीन (23 लाख मौत) में कुल मिलाकर मौत के मामले कुल वैश्विक मामलों के 54 प्रतिशत हैं।'

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘पीएम 2.5' और ओजोन से होने वाले वायु प्रदूषण से 2021 में 81 लाख मौतें होने का अनुमान है, जो कुल वैश्विक मौतों का लगभग 12 प्रतिशत है। ये कण 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम व्यास के और इतने छोटे होते हैं कि वे फेफड़ों में रह जाते हैं और रक्त में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे कई अंग प्रणाली प्रभावित होती हैं एवं लोगों में हृदय रोग, मधुमेह, फेफड़ों के कैंसर जैसे रोगों के जोखिम बढ़ जाते हैं।