समस्तीपुर। जलमार्ग से गई बारात, पानी के घिरे मंडप पर शादी, फूलों के जगह बरसा पानी, फिर जलमार्ग से ही विदा हुई दुल्हन। सुनने में तो ये किसी रईसजादे का डेस्टिनेशन वेडिंग प्रतीत हो रही है, लेकिन बिहार में इस तरह का विवाह मजबूरी, बेबसी और लाचारी की गाथा सुनाता है। समस्तीपुर का एक ऐसा ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें एक दूल्हा नाव पर अपनी दुल्हन को ले जाते हुए देखा जा सकता है।



दरअसल, मॉनसून आते ही उत्तरी बिहार के कई जिले प्रत्येक साल की तरह इस बार भी बाढ़ में डूब गए हैं। बागमती नदी अपने उफान पर है और समस्तीपुर के गांवों में सड़कों और खेतों में नाव चलाने की नौबत है। बुधवार को वारिसनगर के पूरनाही गांव निवासी दूल्हा चंदन कुमार की रामसकल राम की पुत्री काजल से शादी होनी थी। काजल जिले के गोबरसिट्ठा गांव की रहने वाली है।



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विवाह के लिए चंदन के घर वालों ने बैंड-बाजे की बुकिंग महीनों पहले कर ली थी और धूमधाम से बारातियों के लाव-लश्कर के साथ बारात ले जाने की तैयारी थी। लेकिन मुहूर्त वाले दिन के कुछ हफ्ते पहले ही दुल्हन का गांव चारों तरफ से बागमती नदी के पानी में डूब गया। ऐसे में चंदन घोड़े या चारपहिया वाहन से बारात नहीं ले जा सकता था। अंत में गांव के लोगों ने तीन नावों की व्यवस्था की और बैंड-बाजे के साथ बारात लड़की के यहां पहुंचा। 





हालांकि, यहां भी कुदरत ने दूल्हे के अरमानों पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ा। विवाह के पहले जो मूसलाधार बारिश शुरू हुई वह विदाई के वक़्त जाकर रुकी। इस तरह चारों ओर बाढ़ के पानी के बीच ही शादी की रस्में पूरी की गई। इस दौरान दूल्हा-दुल्हन पर फूल के बजाए कुदरत ने पानी बरसाया। रस्म अदायगी के बाद गुरुवार सुबह दुल्हन नाव से ही ससुराल के लिए विदा हुई।



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बताया जा रहा है कि इस गांव में आजादी के बाद से सड़क नहीं पहुंच पाया है। वहीं बारिश के चार महीने गांव डूबा हुआ ही रहता है। बहरहाल, सोशल मीडिया पर चंदन और काजल की विदाई खुब वायरल हो रही है। लोग इसपर तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। ट्वीटर यूजर्स इसे बिहार सरकार द्वारा प्रोमोट की गई डेस्टिनेशन वेडिंग बता रहे हैं। वहीं एक यूजर ने लिखा है कि हम समस्या का हल नहीं करते बल्कि उसके साथ ही जीना सीख लेते हैं।