नई दिल्ली। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के मालिक अर्णब गोस्वामी को दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वे संयम बरतें और मीडिया ट्रायल सहित दूसरी जुमलेबाजी पर रोक लगाएं। हाई कोर्ट ने यह निर्देश सुनंदा पुष्कर से जुड़े मामले में रिपब्लिक द्वारा की जा रही रिपोर्टिंग को लेकर दिया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस रिपोर्टिंग को अपमानजनक बताते हुए याचिका दायर की थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले में अर्णब गोस्वामी को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा है।

जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने टिप्पणी की है कि किसी भी विचाराधीन मामले के दौरान मीडिया को संयम बरतना चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया को समानांतर ट्रायल, किसी को दोषी ठहराने और तथ्यहीन दावे नहीं करने चाहिए। जांच और सबूतों की पवित्रता को ना केवल समझा जाना चाहिए बल्कि उनका सम्मान भी किया जाना चाहिए।

शशि थरूर ने अपनी याचिका में कहा था कि जब तक सुनंदा पुष्कर मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक अर्णब गोस्वामी को सुनंदा पुष्कर से जुड़े किसी भी कार्यक्रम और रिपोर्ट को दिखाने और उन्हें बदनाम किए जाने से रोकना चाहिए।

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शशि थरूर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सुनंदा पुष्कर मामले की चार्जशीट में कहीं भी हत्या का आरोप नहीं है लेकिन अर्णब गोस्वामी अपने कार्यक्रम में कहते हैं कि सुनंदा पुष्कर की हत्या हुई है।

सिब्बल ने यह भी रेखांकित किया कि एक दिसंबर 2017 को कोर्ट ने इस मामले में मीडिया ट्रायल ना चलाने और संयम बरतने की बात कही थी। इसके बाद भी गोस्वामी ने शशि थरूर के खिलाफ यह कहते हुए अपमानजनक रिपोर्टिंग जारी रखी कि उन्हें दिल्ली पुलिस की जांच पर विश्वास नहीं है।

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सिब्बल की इस दलील के बाद गोस्वामी की वकील से पूछा कि जब चार्जशीट में हत्या का जिक्र ही नहीं है तो फिर गोस्वामी किस आधार पर इसे हत्या बता रहे हैं? क्या आपने खुद पुष्कर की हत्या होते हुए देखी? आप जानती भी हैं कि हत्या क्या होती है?

कोर्ट के इन सवालों पर गोस्वामी की वकील मालविका त्रिवेदी ने कहा कि उन्हें एम्स के एक डॉक्टर से सबूत मिले हैं, जो सुनंदा पुष्कर की हत्या की तरफ इशारा करते हैं।

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इसके बाद कोर्ट ने कहा कि आप सबूत इकट्ठा करने के क्षेत्र में नहीं हैं। आपको पता भी है कि सबूत कैसे इकट्ठे किए जाते हैं? कोर्ट ने कहा कि अगर उसके आदेश का पालन नहीं होता है तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।