चुनाव के नतीजों ने बता दिया कि भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं है: नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन
अमर्त्य सेन ने कहा कि महात्मा गांधी, रबींद्रनाथ टैगोर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के देश को हिन्दू राष्ट्र के रूप में दर्शाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।

नई दिल्ली। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित विश्वप्रसिद्ध लेखक अमर्त्य सेन लोकसभी चुनाव नतीजों के लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि आम चुनाव के नतीजे यह दिखाते हैं कि भारत ‘हिंदू राष्ट्र' नहीं है। उन्होंने इस बात पर नाखुशी जतायी कि देश में बिना मुकदमा चलाए लोगों को सलाखों के पीछे रखने का अंग्रेजों के शासनकाल का चलन अब भी जारी है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार की तुलना में यह भाजपा की सरकार में अधिक है।
प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन बुधवार शाम को अमेरिका से कोलकाता पहुंचे। यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक बंगाली समाचार चैनल से उन्होंने कहा कि हम हमेशा हर चुनाव के बाद एक बदलाव देखने की उम्मीद करते हैं। पहले जो कुछ हुआ है (बीजेपी नीत केंद्र सरकार के कार्यकाल में) जैसे कि बिना मुकदमा चलाए लोगों को जेल में डालना और अमीर तथा गरीब के बीच की खाई गहरी करना, वह अब भी जारी है। इसे रोका जाना चाहिए।
अमर्त्य सेन ने कहा कि राजनीतिक रूप से खुले विचार रखने की जरूरत है खासतौर से जब भारत एक धर्मनिरपेक्ष संविधान के साथ एक धर्मनिरपेक्ष देश है। सेन ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने का विचार उचित है। महात्मा गांधी, रबींद्रनाथ टैगोर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के देश को हिन्दू राष्ट्र के रूप में दर्शाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।
भाजपा के अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करवाने के बावजूद फैजाबाद लोकसभा सीट हारने पर सेन ने कहा कि देश की असली पहचान को धूमिल करने का प्रयास किया गया। यह भारत की असली पहचान को नजरअंदाज करने की कोशिश लगती है और इसे बदलना चाहिए। सेन ने यह भी कहा कि भारत में बेरोजगारी बढ़ रही है और प्राथमिक शिक्षा व प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों को नजरअंदाज किया जा रहा है।