त्रिवेंद्रम। केरल भारत का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां एक भी व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन नहीं करेगा। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन 1 नवंबर को आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा करने जा रहे हैं। यानि केरल अब ऐसा राज्य है जहां अब कोई भी अत्यधिक गरीबी रेखा के नीचे नहीं है, यहां सभी लोग अत्यंत गरीबी रेखा से ऊपर जी रहे हैं।
हालांकि इस घोषणा के बाद इसके श्रेय को लेकर भी माकपा और भाजपा आमने-सामने हैं। केरल की कम्यूनिस्ट सरकार का कहना है कि राज्य सरकार की योजनाओं और जमीन पर उन्हें सफलता से लागू करने के कारण यह उपलब्धि हासिल हुई है। वहीं भारतीय जनता पार्टी इस उपलब्धि को केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं के प्रतिफल का बड़ा योगदान बता रही है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने कहा, ‘अब माकपा इसका श्रेय ले रही है और मेरे अनुसार गरीबों का मज़ाक उड़ा रही है और उनका अपमान कर रही है। जबकि सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की कड़ी मेहनत के कारण ही लगभग 20 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी रेखा से बाहर आ पाए हैं।'
वहीं, एक तीसरा समूह आदिवासियों का भी है जो इस राज्य को गरीबी मुक्त घोषित करने के दावे को ही खारिज कर रहा है। उनका कहना है कि ये आंकड़े गलत हैं। अब भी राज्य में हजारों लोग बेहद गरीबी में जीवन यापन करने को मजबूर हैं।
विश्व बैंक अत्यधिक गरीबी को प्रतिदिन $1.90 (लगभग 168 रुपये) से कम पर जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या के रूप में परिभाषित करता है। जबकि, भारत का बहुआयामी गरीबी सूचकांक पोषण, आवास, स्वच्छता, शिक्षा आदि जैसे संकेतकों पर विचार करता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य सरकार की पहल ने भोजन, स्वास्थ्य सेवा, आजीविका के अवसरों और सुरक्षित आवास की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करके अत्यंत खराब परिस्थितियों में रहने वाले 64,006 से अधिक परिवारों का उत्थान किया है। ईपीईपी वर्तमान एलडीएफ सरकार के मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया पहला निर्णय था।
इसे गरीबी उन्मूलन के लिए एक पंचवर्षीय योजना के रूप में परिकल्पित किया गया था। स्थानीय स्वशासन मंत्री एमबी राजेश ने कहा कि अब, हमने अपने लक्ष्य का 100 प्रतिशत हासिल कर लिया है। उन्होंने आगे कहा कि यह उपलब्धि एलडीएफ और यूडीएफ दोनों सरकारों के समन्वित प्रयासों और स्थानीय निकायों की भागीदारी का परिणाम है।