जयपुर। राजस्थान विधानसभा में 172 दिन बाद हुई कोरोना वायरस पर चर्चा और कांग्रेस-बीजेपी के बीच हुए हंगामे के बीच सदन को स्थगित करने का प्रस्ताव दिया गया है। बताया जा रहा है कि पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों की सहमति के साथ यह प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को भेज दिया गया है।

उप मुख सचेतक महेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि देश और प्रदेश में कोरोना का दायरा लगातार बढ़ रहा है, इसलिए सदन की कार्रवाई को स्थगित करना सही होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना नियंत्रण के प्रयासों को पर चर्चा करना जरूरी था, इसी कारण सदन की कार्यवाही बुलाई गई थी।

इससे पहले 21 अगस्त को सदन में हुई चर्चा के दौरान खूब हंगामा हुआ। हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी। कार्यवाही के दौरान भाजपा विधायक कालीचरण ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राशन का कांग्रेसीकरण कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने राशन वितरण करते समय अपने लोगों को प्राथमिकता दी।

विधायक कालीचरण के इस आरोप पर परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल समेत कांग्रेस के कई विधायकों ने एतराज जताया। खाचरियावास ने धारीवाल पर झूठ बोलने का आरोप लगाया तो नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि सरकार ने सच बोलने का ठेका नहीं ले रखा है। इस बीच सीएम गहलोत विधानसभा में मौजूद रहे। बाद में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कालीचरण द्वारा कही गई विवादित बातों के सदन की कार्यवाही से हटाने का निर्देश दिया।

दोपहर बाद शुरू हुई कार्यवाही में शांति धारीवाल ने कालीचरण को सदन से बाहर निकालने के लिए कहा। वहीं प्रताप सिंह खाचरवियास ने बाजू दिखाते हुए कटारिया को ललकारा तो कटारिया भी अपनी जगह खड़े होकर उन्हें जबाव देने लगे। इस सब हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।