नई दिल्ली। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के एक अनूठे फैसले के खिलाफ 9 महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इंदौर हाई कोर्ट ने रक्षा बंधन से पहले अपने एक फैसले में छेड़छाड़ के एक आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने की शर्त पर ज़मानत दी थी। महिला वकीलों के एक समूह ने हाई कोर्ट के इस फैसले को  सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की राय मांगी है। सुप्रीम कोर्ट में महिला वकीलों की याचिका पर अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी।  

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी अर्ज़ी में महिला वकीलों के समूह ने कहा है कि यह ऐसा आदेश है, जो महिलाओं को वस्तु की तरह पेश करता है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को न सिर्फ हाई कोर्ट बल्कि निचली अदालतों को भी स्पष्ट निर्देश जारी करना चाहिए, जिससे इस तरह के आदेशों पर रोक लग सके।

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क्या है मामला
हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 30 जुलाई को अपने एक फैसले में उज्जैन में महिला के घर में घुसकर उसके साथ छेड़छाड़ करने के आरोपी विक्रम बारगी को 50 हज़ार के मुचलके पर सशर्त ज़मानत दे दी थी। कोर्ट ने आरोपी को रक्षा बंधन के दिन पीड़िता से राखी बंधवाने और 11 हज़ार रुपये देने का आदेश भी सुनाया था। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी से कहा था कि वो महिला के बच्चे को भी पांच हज़ार रुपये के कपड़े और मिठाई दे। कोर्ट ने आरोपी से इनकी तस्वीरें खिंचवाकर जमा करने को भी कहा था। फिलहाल आरोपी उज्जैन की जेल में बंद है।