मध्य प्रदेश में लंबे इंतजार और कई दौर के मंथन के बाद शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया। जैसा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा ही था इस मंथन का सारा विष उनके हिस्से आया है। कांग्रेस से बीजेपी में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए यह ‘धोखा वसूल’ प्रस्तुति रही। गुरुवार को 28 मंत्रियों ने शपथ ली है। इनमें से 9 मंत्री सिंधिया खेमे के हैं जबकि 7 शिवराज के खाते के हैं। कुल मंत्रियों की बात करें, तो बीजेपी के 19 मंत्री बने हैं, तो उसमें अकेले ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के 11 नेताओं को मंत्री पद हासिल हुआ है। तीन मंत्री ऐसे हैं जो कांग्रेसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। बीजेपी में यह पहला मौका है जब किसी एक नेता के इतने समर्थकों (वह भी कांग्रेस से आए पैराशूट नेता) को मंत्री बनाया गया है।
बीजेपी जानती है कि उसकी सरकार का बने रहना उपचुनाव पर टिका है। इस जोखिम को देखते हुए उसने ग्वालियर चंबल क्षेत्र में बड़ा दांव चलते हुए अपने सभी नेताओं को किनारे रख ज्योतिरादित्य सिंधिया की सुनी। भाजपा के जमीनी नेता नाराज है। ऐसे नेता जिन्होंने पार्टी को खड़ा किया वे सिंधिया और उनके समर्थकों के कारण मंत्री नहीं बन पाए। यहां तक कि ग्वालियर क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कद भी कमतर करना मंजूर कर लिया गया है। भाजपा की अंदरूनी राजनीति में तोमर के बदले सिंधिया को तवज्जो मिली है। बीजेपी ने सारी वरिष्ठता को किनारे रख पहली बार जीते मुरैना जिले के गिर्राज दंडोतिया को मंत्री बनाया है। बताया जाता है कि जातीय समीकरण के कारण यदि दंडोतिया को मंत्री नहीं बनाते तो उपचुनाव में उनका टिकना मुश्किल था। बीजेपी में अपने नेताओं की उपेक्षा पर तर्क दिया जा रहा है कि उपचुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतनी हैं इसलिए सोच समझकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। मगर बीजेपी के वरिष्ठ नेता अपनी इस उपेक्षा को हजम नहीं कर पा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार बीजेपी ने भी सिंधिया के इस तर्क के आगे सरेंडर कर दिया कि यदि मंत्री नहीं बनाया गया तो उनके समर्थक उपचुनाव में पूरी ताकत से नहीं उतर पाएंगे।
बीजेपी की टक्कर में सिंधिया की बाजी
ज्योतिरादित्य सिंधिया ऐसे पहले नेता है जिसने बीजेपी में समानांतर रणनीति से मंत्री बनवाए हैं। बीजेपी ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में 19 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए नरोत्तम मिश्रा (ब्राह्मण), यशोधरा राजे सिंधिया (राज परिवार), अरविंद भदौरिया (ठाकुर) और भारत सिंह कुशवाहा (अजा) को मंत्री बनाया है तो सिंधिया ने गिर्राज दंडोतिया (ब्राह्मण), प्रद्युमन सिंह तोमर व ओपीएस भदोरिया (ठाकुर), इमरती देवी (दलित) को मंत्री बनवाया है। गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र के समर्थकों सुरेश धाकड़ और ब्रजेन्द्र यादव को भी सिंधिया ने मंत्री बनवाया है। उपचुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की रणनीति के तहत ज्योतिरादित्य सिंधिया को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है जबकि बीजेपी के अपने पुराने नेताओं को कैबिनेट में कम भागीदारी से संतोष करना पड़ा है।