MP Cabinet Expansion : विधायक नहीं फिर भी बनाया मंत्री जनता से मजाक
Congress : अनैतिक रास्तों से प्राप्त पद तात्कालिक रूप से सत्ता के लाभ दे सकते हैं सम्मान नहीं

आखिरकार शिवराज सरकार का कैबिनेट विस्तार हो ही गया। 102 दिन बाद हुए इस विस्तार में सिंधिया समर्थकों का बोलबाला दिखाई दे रहा है। इस कैबिनेट विस्तार पर कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधा है। कांग्रेस का कहना है कि इस मंत्रिमंडल में बीजेपी के कई वरिष्ठ विधायकों की अनदेखी की गई है, जिन्होंने पार्टी को अपने खून पसीने से सींचा है। कांग्रेस का कहना है कि अनैतिक रास्तों से प्राप्त पद तात्कालिक रूप से सत्ता के लाभ दे सकते हैं, मगर सम्मान नहीं।
शिवराज कैबिनेट के विस्तार पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने इस विस्तार को संवैधानिक व्यवस्थाओं के साथ बड़ा खिलवाड़ बताया है। उन्होने लिखा है कि यह विस्तार प्रदेश की जनता के साथ मज़ाक है। उन्होंने लिखा है कि 33 मंत्रियों में से 14 विधायक तक नहीं हैं, जिनपर जनता से धोखे का इल्ज़ाम है, उन्हें मंत्री बना दिया गया है। दरअसल कांग्रेस से बगावतकर बीजेपी में गए इन विधायकों को उपचुनाव में अपनी विधायकी साबित करनी होगी.. इसीलिए विपक्ष इन्हें अनैतिक मान रहा है।
लोकतंत्र के इतिहास में मध्यप्रदेश का मंत्रिमंडल ऐसा मंत्रिमंडल है , जिसमें कुल 33 मंत्रियो में से 14 वर्तमान में विधायक ही नहीं है।
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) July 2, 2020
यह संवैधानिक व्यवस्थाओं के साथ बड़ा खिलवाड़ है।
प्रदेश की जनता के साथ मज़ाक है।
राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा का कहना है कि ‘नवगठित मंत्रिमंडल के सदस्यों को में बधाई देता हूँ, पर उनके सफल कार्यकाल की कामना नहीं कर सकता। अनैतिक रास्तों से प्राप्त पद तात्कालिक रूप से सत्ता का लाभ दे सकते हैं, मगर सम्मान नहीं।‘क्षेत्रीय असंतुलन पर तन्खा ने कहा कि क्या भाजपा भूल गई कि महाकौशल, विंध्य,नर्मदा बेल्ट भी मप्र का अंग है। यह क्षेत्र लगभग नेतृत्वहीन है। क्या यह ग्वालियर चम्बल और मालवा की सरकार है?
क्या भाजपा भूल गई की महकोशल,विंध्य,नर्मदा बेल्ट भी मप्र का अंग है।लगभग नेतृत्व हीन। जबलपुर,नरसिंघपुर,होशंगाबाद,मंड्ला,डिंडोरी, दमोह,छिन्दवाड़ा,बालाघाट लगभग पूरा साफ़।क्या यह ग्वालियर चम्बल और मालवा की सरकार है।यह सौतेला व्यवहार बिलकुल मंज़ूर नहीं : इसके परिणाम बेहद दूर गामी होगे:
— Vivek Tankha (@VTankha) July 2, 2020
जीतू पटवारी ने कहा है कि मंत्रिमंडल का गठन इस सरकार के अंत को निर्धारित कर रहा है, जहाँ तक प्रश्न चरित्र का है, प्रदेश की जनता इन गद्दारों को 24 सीटों के उपचुनाव में उत्तर देगी!
अवसरवादियों की भीड़ के कारण राजेंद्र शुक्ला, संजय पाठक, पारस जैन, सुरेंद्र पटवा, गौरीशंकर बीसेन, रामपाल सिंह, जालम सिंह पटेल अब समझ गए होंगे की जब जयचंदों को पार्टी में लाया जाता है तो निष्ठावान कैसे किनारे हो जाते!
— Jitu Patwari (@jitupatwari) July 2, 2020
पद चुनाव आते जाते हैं राजनीतिक मर्यादा की ज़िम्मेवारी सबकी है !
हाल ही में भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष बालेंदु शुक्ल ने कहा है कि बीजेपी नेताओं में अंतर्द्वंद चल रहा है। आगामी उपचुनाव में इस अंतर्द्वंद का फायदा कांग्रेस को मिलेगा। कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में गए नेताओं की स्थिति गंभीर है। बीजेपी में वरिष्ठ नेताओं को कोई तवज्जो नहीं मिल रही है। कल तक जो बीजेपी और उनके खिलाफ खड़े थे, आज उन्हीं के लिए चुनाव में झंड़ा लेकर चलना आसान नहीं होगा। बालेंदु शुक्ल ने प्रद्युम्न सिंह तोमर और इमरती देवी के चुनावी भविष्य पर सवाल खड़े किए। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि मंत्रिमंडल में शामिल होने से वंचित योग्य, अनुभवी, निष्ठावान बीजेपी विधायकों के साथ कांग्रेस की पूरी सहानुभूति है। कांग्रेस का ऐसा मानना है कि आज के मंत्रिमंडल के गठन में इनके साथ अन्याय हुआ है।
जिन्होंने पार्टी को खून-पसीने से सींचा वो टिकाऊ MLA होने के बाद भी आज फिर ठगे गये।
— Narendra Saluja (@NarendraSaluja) July 2, 2020
वही कई बिकाऊ,बग़ैर MLA होते हुए भी नवाज़े गये।
कई बिकाऊ भी ठगे गये,गये थे मंत्री बनने की चाह में लेकिन नहीं बनाया।
जिनको केबिनेट बनना था,वो राज्यमंत्री ही बनाये गये।
पिक्चर तो अभी शुरू हुई है।
गौरतलब है कि सितंबर महीने में इन सभी बागी विधायकों को चुनाव जीतकर आना पड़ेगा और उनकी जीत पर ही सरकार का अस्तित्व टिका है। इसलिए भी सिंधिया के साथियों और कांग्रेस के बागियों को बीजेपी ने सिर आंखों पर बिठाया है।