नौकरी में सुरक्षा और 21 हजार न्यूनतम वेतन की मांग, MP के आउटसोर्स कर्मचारी आज भोपाल में करेंगे प्रदर्शन

मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों, अर्द्धसरकारी संस्थानों में काम कर रहे आउटसोर्स कर्मचारी आंदोलित हैं। प्रदेशभर के आउटसोर्स कर्मचारी रविवार को राजधानी भोपाल में अपनी मांगों को लेकर शक्ति प्रदर्शन करेंगे।

Updated: Sep 22, 2024, 11:29 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों, अर्द्धसरकारी संस्थानों में काम कर रहे आउटसोर्स कर्मचारी आंदोलित हैं। प्रदेशभर के आउटसोर्स कर्मचारी रविवार को राजधानी भोपाल में अपनी मांगों को लेकर शक्ति प्रदर्शन करेंगे। भोपाल के नीलम पार्क में कार्यक्रम की परमिशन शनिवार रात प्रशासन की ओर से मिली है। इसमें प्रदेशभर के हजारों की संख्या में आउटसोर्स कर्मचारी शामिल होंगे।

ग्राम पंचायतों के चौकीदार, पंप ऑपरेटर, सफाईकर्मी, स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीन, अस्थाई कर्मचारी, निगम मंडल, नगरीय निकाय, सहकारिता के आउटसोर्स, शासकीय विभागों के आउटसोर्स कंप्यूटर ऑपरेटर, अस्पताल, मेडिकल कॉलेजों के वार्ड न्याय, सुरक्षाकर्मी, सहित चतुर्थ श्रेणी आउटसोर्स कर्मचारी, मंडियों, राष्ट्रीयकृत एवं सहकारी बैंकों, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, यूनिवर्सिटी, आयुष विभाग के योग प्रशिक्षक, शिक्षा विभाग के व्यावसायिक प्रशिक्षकों सहित सभी शासकीय अर्द्धशासकीय विभागों के अस्थाई, आउटसोर्स कर्मचारी "नौकरी में सुरक्षा और न्यूनतम 21000 रूपए वेतन" की मांग को लेकर प्रदर्शन किया जाएगा।

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आउटसोर्स, अस्थाई, अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा का कहना है कि मप्र में सरकारी विभागों में ठेकेदारों का राज चल रहा है। सभी विभागों का 80 प्रतिशत निजीकरण हो चुका है। ऐसे में सरकारी विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी में न सुरक्षा बची है और न ही सरकार का तय न्यूनतम वेतन मिलता है। यह कर्मचारी अन्याय के शिकार हैं।

इसी के तहत कामगार क्रांति आंदोलन किया जा रहा है। इसमें प्रदेशभर से हजारों कर्मचारी शामिल होकर न्याय के लिए आवाज बुलंद करेंगे। ग्राम पंचायतों के चौकीदारों, पंप ऑपरेटरों, भृत्यों से 3 हजार में काम कराया जा रहा है। वहीं, स्कूलों छात्रावासों के अंशकालीन, अस्थाई कर्मचारियों का वेतन 2006 के बाद नहीं बढा है। इस कारण उन्हें अब भी 4-5 हजार रुपए वेतन ही मिलता है।

शर्मा ने कहा कि मप्र में 20 साल से चतुर्थ एवं तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है। सरकार ने चपरासी, सफाईकर्मी की नौकरी तक नहीं दी है। अस्थाई कर्मचारी के रूप में 2-3 हजार रूपए में काम कराया जा रहा है। इन्हें सरकार का तय न्यूनतम वेतन तक नहीं मिलता। इस तरह लाखों कर्मचारियों के साथ अन्याय किया जा रहा है, जिसके खिलाफ कामगार क्रांति आंदोलन में एकजुट होकर आवाज उठाई जा रही है। सरकार से जिंदा रहने लायक वेतन और नौकरी में सुरक्षा की मांग की जा रही है।