MP के कॉलेजों में RSS से जुड़ी किताबें पाठ्यक्रम में रखना अनिवार्य, कांग्रेस ने बताया नफरती विचारधारा थोपने की कोशिश
कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने चुने गए लेखकों की उपयुक्तता पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया कि उनकी रचनाएं शैक्षणिक योग्यता के बजाय एक खास विचारधारा पर आधारित है।
भोपाल। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के संचालकों विवादास्पद निर्देश दिए हैं। शिक्षा विभाग ने राज्य के कॉलेजों में आरएसएस से जुड़ी किताबों को पाठ्यक्रम में रखना अनिवार्य कर दिया है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी इस आदेश ने एक राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। विपक्षी दल इसे एक विभाजनकारी और नफराती विचारधारा को बढ़ावा देने की कोशिश बता रहे हैं।
उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डॉ धीरेंद्र शुक्ला ने सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र लिखा है. इस पत्र में संस्थानों को 88 किताबों का एक सेट खरीदने के निर्देश दिए हैं। लिस्ट में सुरेश सोनी, दीनानाथ बत्रा, डॉक्टर अतुल कोठारी, देवेंद्र राव देशमुख और संदीप वासलेकर जैसे प्रमुख आरएसएस नेताओं की लिखी गई रचनाएं शामिल हैं, जो आरएसएस की शैक्षिक शाखा विद्या भारती से जुड़े रहे हैं। इनमें कई पुस्तक बेहद विवादास्पद हैं।
उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों से कहा है कि वे बिना देरी इन किताबों को खरीदें। यह निर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है, जो अकादमिक पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपराओं को शामिल करने की वकालत करता है। विभाग के पत्र में यह भी सिफारिश की गई है कि प्रत्येक कॉलेज में एक इंडियन नॉलेज ट्रेडिशन सेल का गठन किया जाए, जो विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में इन किताबों को शामिल करने में मदद करेगा।
मध्य प्रदेश सरकार के निर्देश की विपक्षी कांग्रेस ने निंदा की है। कांग्रेस ने राज्य सरकार पर छात्रों में विभाजनकारी और नफरत फैलाने वाली विचारधारा को थोपने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने चुने गए लेखकों की उपयुक्तता पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया कि उनकी रचनाएं शैक्षणिक योग्यता के बजाय एक खास विचारधारा पर आधारित हैं। मिश्रा ने पूछा, 'क्या ऐसे लेखकों की किताबें शैक्षणिक संस्थानों में देशभक्ति और त्याग की भावना को प्रेरित करेंगी?' उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो इस आदेश को रद्द कर दिया जाएगा।