मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीएम शिवराज पर आंकड़ों की बाजीगरी करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता ने सोमवार को एक के बाद एक पांच ट्वीट कर तीखी आलोचना की है। उन्होंने गरीबों, प्रवासी मजदूरों व छोटे व्यवसायियों के मुद्दे उठाए। कमलनाथ ने बीजेपी सरकार से कोरोना महामारी को देखते हुए प्रदेश के सभी बिजली उपभोक्ताओं की तीन महीने का पूरा बिल माफ करने की मांग की है। उन्होंने शिवराज सरकार से पूछा है कि इस महामारी में जब काम बंद है, आमदनी रुकी हुई है, खाने को नहीं है तो ऐसे में लोग कर्ज कहां से चुकाएंगे?



गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर प्रदेश भर से लगातार बिजली बिल ज्यादा आने की शिकायतें आ रही हैं। लॉकडाउन के वजह से मीटर का रीडिंग भी नहीं लिया जा रहा है ऐसे में अचानक से 10 से 12 गुना ज्यादा बिजली बिल आने का लोग विरोध कर रहे हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 31 मई को अपने जनता के नाम अपने संबोधन में बिजली बिल में रियायत की घोषणा की थी। इसे कमलनाथ ने नाकाफी बताया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, 'कोरोना महामारी में ख़राब अर्थव्यवस्था को देखते हुए आज ज़रूरत है प्रदेश के सभी उपभोक्ताओं को छूट प्रदान करते हुए उनके तीन माह के बिजली के बिल पूरी तरह से माफ़ किये जाये।'





उन्होंने कहा, 'माँग के विपरीत अजीबोग़रीब निर्णय लिया गया कि किसी के इतने आये तो इतने भरना , इतने आये तो उतने भरना , बाक़ी हम जाँच करेंगे लेकिन भरना पड़ेगा, फ़ायदा भी सभी को नहीं, कोई माफ़ी नहीं? उद्योग माँग कर रहे थे कि लॉकडाउन की अवधि के उनके फ़िक्स चार्ज से लेकर न्यूनतम यूनिट चार्ज, लाइन लॉस चार्ज, विलंब चार्ज सहित अन्य चार्ज में सरकार उन्हें छूट प्रदान कर “जितनी खपत उतना बिल “प्रदान करे लेकिन निर्णय सभी चार्जों में छूट का नहीं, सिर्फ़ फ़िक्स चार्ज की वसूली को अभी स्थगित का लिया गया, बाद में भरना पढ़ेगा।



उन्होंने सरकार पर आंकड़ों की बाजीगरी करने का आरोप लगाते हुए पूछा है कि जब इस महामारी में जब काम बंद है, आमदनी रुकी हुई है, खाने को नहीं है तो ऐसे में लोग कर्ज कहां से चुकाएंगे? उन्होंने कहा, 'ग़रीब, छोटे व्यवसायी, प्रवासी मज़दूर एकमुश्त 10 हज़ार रुपये के राहत पैकेज की माँग कर रहे है।निर्णय लिया गया कि मज़दूरों के पंजीयन होंगे, छोटे व्यवसायियों को 10 हज़ार रुपये तक का क़र्ज़ बैंक से दिलवाया जाएगा। जब इस महामारी में काम नहीं , आमदनी नहीं, खाने को नहीं तो क़र्ज़ कहाँ से भरेंगे? सिर्फ़ शिवराज सरकार की आँकड़ो की बाज़ीगरी, रियायत के नाम पर कुछ भी नहीं।