अयोध्या के महंत ने राष्ट्रपति से की शबनम की फाँसी रद्द करने की अपील, बोले महिला को फाँसी से नहीं होगा देश का भला

शबनम को अपने माता पिता सहित परिवार के सात लोगों की हत्या के जुर्म में फांसी होनी है, आज़ादी के बाद से अब देश में किसी महिला को कभी फाँसी नहीं दी गई है

Updated: Feb 22, 2021, 01:15 PM IST

Photo Courtesy : Times Of India
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नई दिल्ली/अयोध्या। शबनम के 12 साल के बेटे ताज़ की गुहार के बाद बाद अब अयोध्या के महंत परमहंस दास ने भी शबनम की फांसी रोकने की मांग की है। अयोध्या के तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अपील की है कि वे शबनम की फांसी की सज़ा माफ़ कर दें। महंत परमहंस का कहना है कि एक नारी को मृत्युदंड देने से समाज का भला नहीं हो पाएगा। लिहाजा,  राष्ट्रपति को अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करके शबनम की फांसी की सजा को माफ कर देना चाहिए।

परमहंस दास ने कहा है कि आज़ाद भारत में आज तक किसी महिला को फांसी के फंदे पर नहीं लटकाया गया है। शबनम फांसी के फंदे पर लटकने वाली देश की पहली महिला बनने वाली है। ऐसे में अगर किसी महिला को फांसी हुई तो देश को दुर्भाग्य और आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। महंत परमहंस दास का कहना है कि हिन्दू धर्म में नारी का दर्जा सबसे ऊपर है। एक नारी को मृत्युदंड देने से समाज का भला नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि यह सच है कि उसका अपराध माफ किए जाने लायक नहीं है, फिर भी उसे महिला होने के नाते माफ किया जाना चाहिए।   

शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही परिवार के सात लोगों की जान ले ली थी। वह इस समय मुरादाबाद की जेल में कैद है, जबकि उसका प्रेमी सलीम आगरा की जेल में है। शबनम को अमरोहा ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तीनों जगह से फांसी सज़ा सुनाई जा चुकी है। 2015 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर राम नाइक भी शबनम की दया याचिका को खारिज कर चुके हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी शबनम की दया याचिका हाल ही में खारिज कर चुके हैं। 

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क्या है मामला 

यह मामला उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले के बाबनखेड़ी गाँव का है। उस समय बाबनखेड़ी गाँव मुरादाबाद ज़िले में  आता था। 14 अप्रैल 2008 को शबनम ने अपने माता पिता सहित परिवार के सात लोगों को पहले ज़हर दिया और फिर कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला। शबनम के इस जुर्म में उसका प्रेमी सलीम भी शामिल था। शबनम ने अपने सात महीने के भतीजे को भी नहीं बख्शा था। शबनम और उसके प्रेमी को सभी अदालतों ने फांसी की सज़ा सुनाई। शबनम हत्या के समय गर्भवती थी। दिसंबर 2008 में उसने अपने बच्चे को जेल में ही जन्म दिया।

2015 में जब शबनम का बेटा 7 साल का हो गया तो उसने अपने बेटे को उस्मान सैफी के हवाले कर दिया। शबनम ने उस्मान सैफी की किसी समय में आर्थिक सहायता की थी। शबनम की मदद से ही उस्मान ने अपनी पढ़ाई पूरी की थी। उस्मान का कहना है कि शबनम ने इतना जघन्य अपराध क्यों किया उसे नहीं पता, लेकिन जिस शबनम को वो जानता था वह नेकदिल और अच्छी इंसान थी। उस्मान ही शबनम के बच्चे को गोद लेकर उसकी परवरिश कर रहा है।