कोरोना का नया वैरिएंट C.1.2 है बहुत अधिक संक्रामक, वैक्सीन सुरक्षा को भी दे सकता है चकमा 

दक्षिण अफ्रीका में मई माह में पहली बार मिला था ये वैरिएंट, बहुत अधिक म्युटेशन के कारण नया वैरिएंट बन गया है खतरनाक, दुनियाभर में चल रहे टीकाकरण अभियान के लिए नई चुनौती

Updated: Aug 31, 2021, 03:50 AM IST

नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका और विश्व के अन्य देशों में मिला कोरोना का नया वैरिएंट सी.1.2 बहुत अधिक संक्रामक है। एक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि नया वैरिएंट वैक्सीन से मिली सुरक्षा को भी चकमा दे सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में कोरोना की पहली लहर के दौरान मिले विभिन्न वैरिएंट में से सी.1 वैरिएंट की तुलना में सी.1.2 वैरिएंट में बहुत अधिक बदलाव देखने को मिला है। वैज्ञानिकों ने इसे वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट नाम दिया है। 

दक्षिण अफ्रीका में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज और क़्वाजुलु नेटाल रिसर्च इनोवेशन एंड सिकवेंसिंग प्लेटफॉर्म के वैज्ञानिकों के अनुसार इस साल मई माह में पहली बार कोरोना के इस नए वैरिएंट का पता चला था।  तब से ये वैरिएंट चीन, कांगो गणराज्य, इंग्लैंड, न्यूजीलैण्ड, मारीशस, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में मिल चुका है। 24 अगस्त को आये अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है कि दुनिया भर में पाए गए सी.1 की तुलना में सी.1.2 में बहुत अधिक म्युटेशन हुआ है। 

अध्ययन से पता चला है कि दक्षिण अफ्रीका में हर महीने सी.1.2 की जीनोम संख्या में वृद्धि हो रही है। मई में अनुक्रमित जीनोम की संख्या 0.2 से बढ़कर जून में 1.6 और जुलाई में 2 प्रतिशत हो गई है। अध्ययन के मुताबिक इस वैरिएंट का म्युटेशन रेट 41.8 प्रति वर्ष है, जो मौजूदा ग्लोबल म्युटेशन रेट से दोगुना तेज है। वैरोलॉजिस्ट उपासना राय के मुताबिक यह वैरिएंट स्पाइक प्रोटीन में सी.1.2 लाइन में जमा हुए कई म्युटेशन का परिणाम है।  यही कारण है जो इसे चीन के वुहान में मिले मूल वायरस से बहुत अधिक अलग बनाता है। 

कोलकाता के सीएसआईआर- केमिकल इंस्टिट्यूट ऑफ बायोलॉजी की सुश्री राय ने पीटीआई को बताया कि  इस वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में बहुत अधिक म्युटेशन हुआ है। इसका परिणाम यह है कि ये वैरिएंट वैक्सीन से मिली प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा दे सकता है। कोरोना का ये नया वैरिएंट बहुत संक्रामक है और इसमें तेजी से फैलने की क्षमता है। दुनिया में चल रहे टीकाकरण अभियान के लिए ये वैरिएंट एक चुनौती बन गया है। अध्ययन में सी.1.2 वैरिएंट में 14 से अधिक म्युटेशन सामने आये हैं, इसके अलावा भी कुछ भिन्नताएं देखने को मिली हैं। 

दरअसल स्पाइक प्रोटीन का उपयोग कोरोना वायरस मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने और शरीर में प्रवेश करने के लिए करता है।  अधिकांश वैक्सीन इसे ही ध्यान में रखकर बनाये गए हैं। स्पाइक प्रोटीन में इतने अधिक म्युटेशन ने कोरोना के इस नए वैरिएंट को और अधिक संक्रामक बना दिया है। इस वैरिएंट में म्युटेशन एन440के और  वाई449एच मिला है। ये म्युटेशन एंटीबाडी से तैयार प्रतिरक्षा तंत्र को चकमा देने में सक्षम है। इसीलिए वैज्ञानिक कोरोना के इस वैरिएंट को खतरनाक मान रहे हैं।