नए साल पर ISRO का XPoSAT सेटेलाइट लॉन्च, ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया का करेगा अध्ययन

ISRO PSLV-C58 XPoSat Mission launch: इसरो ने सोमवार को एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट समेत कुल 11 उपग्रहों को लेकर जा रहे एक पीएसएलवी रॉकेट को लॉन्च किया। इसरो का पहला एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) एक्स-रे सोर्स के रहस्यों का पता लगाएगा।

Updated: Jan 01, 2024, 12:55 PM IST

नए साल का आगाज हो चुका है और देशभर में लोग जश्न में डूबे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (XPoSAT) के प्रक्षेपण से नववर्ष का स्वागत किया है। एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह और 10 अन्य उपग्रह लेकर जा रहे पीएसएलवी-सी58 रॉकेट का श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण किया गया। यह उपग्रह ब्लैक होल जैसी खगोलीय रचनाओं के रहस्यों से पर्दा उठाएगा। XPoSAT सबसे चमकीले तारों का अध्‍ययन करेगा। इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच वर्ष का है। इसे PSLV से लॉन्‍च किया गया है।

इस साल चंद्रमा पर सफलता हासिल करने के बाद, भारत 2024 की शुरुआत ब्रह्मांड और इसके सबसे स्थायी रहस्यों में से एक "ब्लैक होल" (Black Holes) के बारे में और अधिक समझने के लिए महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया है। भारत एक एडवांस्‍ड एस्‍ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी (उन्नत खगोल विज्ञान वेधशाला) लॉन्च करने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है। यह विशेष रूप से ब्लैक होल और न्यूट्रॉन स्‍टार्स के अध्ययन के लिए तैयार किया गया है।

ब्रह्मांड के रहस्‍यों का पता लगाने के लिए एक साल से भी कम समय में यह भारत का तीसरा मिशन है। पहला ऐतिहासिक चंद्रयान-3 मिशन था, जिसे 14 जुलाई, 2023 को लॉन्च किया गया था, और इसके बाद 2 सितंबर, 2023 को आदित्य-एल1 लॉन्च किया गया था। XPoSAT मिशन में पीएसएलवी अपनी 60वीं उड़ान भरेगा। 469 किलोग्राम के XPoSAT को ले जाने के अलावा, 44 मीटर लंबा, 260 टन के रॉकेट ने 10 एक्‍सपेरिमेंट्स के साथ उड़ान भरी है।

इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है। उन्‍होंने कहा कि एक्स-रे ध्रुवीकरण का अंतरिक्ष आधारित अध्ययन अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण है और इस संदर्भ में एक्सपोसैक्ट मिशन एक अहम भूमिका निभाएगा।