लोकसभा में थोड़ी देर में पेश होगा एक देश-एक चुनाव बिल, अखिलेश यादव ने बताया लोकतंत्र के लिए खतरनाक
सत्तारूढ़ बीजेपी समेत सभी राजनीतिक दलों ने अपने सांसदों को लोकसभा में उपस्थित होने के लिए व्हिप जारी किया है।

नई दिल्ली। वन नेशन, वन इलेक्शन बिल आज लोकसभा में पेश होगा। इसे लेकर जहां विपक्ष लगातार सवाल खड़ा कर रहा है तो वहीं सत्ता पक्ष इस बिल को देशहित में बता रहा है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल एक देश-एक चुनाव के लिए 129वां संविधान संशोधन बिल पेश करेंगे।
इसके लिए सत्तारूढ़ बीजेपी समेत सभी राजनीतिक दलों ने अपने सांसदों को लोकसभा में उपस्थित होने के लिए व्हिप जारी किया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर सरकार की अलोचना की है। उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर अपना विरोध जताया है। अखिलेश यादव ने वन नेशन वन इलेक्शन को लोकतंत्र के लिए घातक बताया है। सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने भी वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया है।
बिल पेश होने से पहले केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने कहा कि आजादी के बाद से चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभाओं के 400 से ज्यादा चुनाव करा चुका है। अब हम एक देश, एक चुनाव का कॉन्सेप्ट लाने जा रहे हैं। एक हाईलेवल कमेटी इसका रोडमैप बना चुकी है। इससे प्रशासनिक क्षमता बढ़ेगी, चुनाव संबंधी खर्च में कमी आएगी और नीतिगत निरंतरता को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार लोकसभा में एक देश-एक चुनाव से जुड़े 2 बिल पेश करेगी। दोनों बिल को 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पहले एक देश, एक चुनाव बिल पेश करेंगे।
दूसरा बिल केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े 3 कानूनों में संशोधन का है। इस बिल में द गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट- 1963, द गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली- 1991 और द जम्मू एंड कश्मीर रीऑर्गनाइजेशन एक्ट- 2019 शामिल हैं। इसके जरिए जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए भी संशोधन किया जा सकता है।
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रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पेश करने के बाद JPC के पास भेजने की तैयारी कर रही है। इसके लिए जेपीसी की कमेटी का गठन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न दलों के सांसदों की संख्या के आनुपातिक आधार सदस्यों को शामिल किया जाएगा। जेपीसी सभी दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर बिल पर सुझाव लेगी। इसके बाद जेपीसी अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंपेगी।
जेपीसी से अप्रूव होने के बाद विधेयक संसद में लाया जाएगा। संसद के दोनों सदनों से विधेयक पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और राष्ट्रपति के साइन के बाद ये बिल कानून बन जाएगा। इसके कानून बनने के बाद देशभर में एक साथ चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा।