एक राष्ट्र एक चुनाव संविधान की मूल अवधारणा के खिलाफ, देश इसे नहीं करेगा स्वीकार: मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम इसके साथ नहीं हैं। एक राष्ट्र, एक चुनाव लोकतंत्र में काम नहीं कर सकता। अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र जीवित रहे तो चुनाव जब जहां, जरूरत हो आवश्यकतानुसार होने चाहिए।
नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट द्वारा बुधवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल शीतकालीन सेशन में पार्लियामेंट में पेश किया जाएगा। कैबिनेट के इस फैसले को विपक्षी दल कांग्रेस ने तीखे शब्दों में निंदा की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे लोकतंत्र और संविधान के विरुद्ध बताया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ व्यवहारिक नहीं है और यह लोकतंत्र और संघवाद के बिल्कुल खिलाफ है। बीजेपी चुनाव के समय इसके ज़रिये असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करती है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीडिया से कहा, 'हम इसके साथ नहीं हैं। एक राष्ट्र, एक चुनाव लोकतंत्र में काम नहीं कर सकता। अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र जीवित रहे तो चुनाव जब जहां, जरूरत हो आवश्यकतानुसार होने चाहिए।'
उन्होंने यह भी कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव की व्यवस्था’ चलने वाली नहीं है। चुनाव के समय जब मुद्दे नहीं मिल रहे तो असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की बातें करते हैं।
वहीं, 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा, 'यह निर्णय एक नौटंकी है। उन्हें जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उपचुनावों में भी हार तय दिख रही है। मैंने सुना है कि बीजेपी को जानकारी मिल गई है कि आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व को भी लगता है कि महाराष्ट्र और झारखंड में बीजेपी हारने वाली है। इसके लिए (एक राष्ट्र, एक चुनाव) कई संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता होगी, लेकिन वे इसे लोकसभा या राज्यसभा में अपने दम पर पारित नहीं कर सकते... यह स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह देश या हमारे संघीय ढांचे के पक्ष में नहीं है।'