पंजाब के एडवोकेट ने की आत्महत्या, कहा मोदी जी आपने जनता को धोखा दिया है

अमरजीत सिंह ने कहा कि मोदी गोधरा जैसा बलिदान चाहते हैं, मैं आपकी अंतरात्मा तक आवाज़ पहुंचाने के लिए कुर्बानी दे रहा हूं

Updated: Dec 28, 2020, 07:13 AM IST

Photo Courtesy: Social media
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नई दिल्ली। किसान आंदोलन के समर्थन और कृषि कानूनों के विरोध में एक और व्यक्ति ने जान दे दी। पंजाब के रहने वाले एडवोकेट अमरजीत सिंह ने टिकरी बॉर्डर पर जारी आंदोलन से कुछ दूरी पर ज़हर खा कर अपनी जान दे दी। इसके बाद आनन फानन में उन्हें रोहतक के एक अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमरजीत सिंह के पास से एक सुसाइड नोट मिला है। हालांकि यह सुसाइड नोट 18 दिसंबर की तारीख में लिखा हुआ है, लिहाज़ा पुलिस इस सुसाइड नोट की जांच कर रही है। सुसाइड नोट में अमरजीत सिंह ने जो लिखा है, उसे पढ़कर दिल पसीज जाएगा। 

अमरजीत सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम सुसाइड नोट लिखा है। अमरजीत सिंह ने लिखा है कि लोग कह रहे हैं कि आपको शायद गोधरा जैसा बलिदान चाहिए, इसलिए मैं अपनी कुर्बानी दे रहा हूं। ताकि आपकी अंतरात्मा तक आवाज़ पहुंच सके। अमरजीत सिंह ने किसान आंदोलन के समर्थन में लिखा कि लाखों लोग ऐसे ही इस ठंड में नहीं बैठे हुए हैं। वो यहां अपनी आजीविका बचाने के लिए हैं। अमरजीत ने लिखा कि आप केवल अपने पूंजीपति मित्रों का पेट भरने में व्यस्त हैं। आपकी सरकार के कानूनों ने किसानों की कमर तोड़ दी है। 

मोदी जी आपने जनता को धोखा दिया है 
अमरजीत ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि लोगों ने आपको बड़ी उम्मीद के साथ प्रधानमंत्री चुना था। लेकिन आज आप केवल पूंजीपतियों के प्रधानमंत्री बन कर रह गए हैं। आपने हमारा विश्वास तोड़ दिया है। अमरजीत ने लिखा कि आपने सामाजिक तौर पर जनता तो राजनीतिक तौर पर अकाली दल जैसे अपने सहयोगियों को दोखा दिया है। अमरजीत ने लिखा कि मैं अपनी कुर्बानी इसलिए दे रहा हूं ताकि आपकी सरकार किसानों की आवाज़ सुनने के लिए मजबूर हो जाए। 

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अगर यह सुसाइड नोट अमरजीत सिंह द्वारा लिखा गया है तो एक बात समझी जा सकती है कि किसी समय अमरजीत प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक रहे होंगे। लेकिन किसान आंदोलन पर सरकार और खासकर प्रधानमंत्री मोदी के रुख से वाकई एक बहुत बड़ा वर्ग न सिर्फ नाराज़ चल रहा है। जबकि आक्रोशित भी है। अमरजीत सिंह से पहले हाल ही में संत राम सिंह नामक किसान ने भी आत्महत्या कर ली थी। संत राम सिंह ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि वो केंद्र सरकार किसानों, उनके बच्चों और उनकी पत्नियों के साथ अन्याय कर रही है। इसलिए वे इस अन्याय के खिलाफ आत्महत्या कर रहे हैं।

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 वहीं निरंजन सिंह नामक एक अन्य किसान ने हाल ही में ज़हर खा कर खुदकुशी करने की कोशिश की थी। हालांकि उनकी जान बचा ली गई। निरंजन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को आत्महत्या के लिए उकसाने का ज़िम्मेदार ठहराया था। निरंजन सिंह ने कहा था कि जैसे आत्महत्या के लिए उकसाने वाले व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज होता है, वैसे ही प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।

एक तरफ जहां किसानों से बातकर प्रधानमंत्री की नज़र में उनकी आशंकाएं ही सही लेकिन दूर तो करनी चाहिए ? लेकिन बनिस्बत इसके वन वे कम्युनिकेशन में विश्वास रखने वाले हमारे प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर उन लोगों से किसान आंदोलन पर बात कर रहे हैं जो या तो दिल्ली बॉर्डर पर मौजूद नहीं हैं या वो जो क किसान नहीं हैं। 

आज प्रधानमंत्री 100 वीं किसान रेल को हरी झंडी भी दिखाने वाले हैं। मसलन, प्रधानमंत्री मोदी सब कुछ कर रहे हैं लेकिन किसानों से बात नहीं कर रहे हैं। हां,‌ लेकिन जो किसान नहीं हैं उन्हें ज़रूर कृषि कानूनों के फायदे गिना रहे हैं।