नई दिल्ली। किसान नेता राकेश टिकैत ने बीजेपी पर करारा हमला किया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी ने देश की आजादी के लिए कुछ नहीं किया, सिर्फ लोगों की भावनाओं को भड़काकर छल से गद्दी हासिल की। पिछले चुनाव में बीजेपी को वोट देकर पछताने की बात मीडिया के सामने स्वीकार कर चुके राकेश टिकैत ने कहा कि बीजेपी के लिए व्यापार पहली प्राथमिकता है और देश का झंडा दूसरे नंबर पर है। उन्होंने कहा कि जब मोदी सरकार को कृषि कानूनों की वापसी पर विचार करना चाहिए तब वह कंटीले तार ढूंढने में व्यस्त है।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आज मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्र सरकार और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है। जब एक रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि 26 जनवरी के बाद किसान आंदोलन थोड़ा बदला है। उसमें दीप सिद्धू का नाम आया, वह जेल में है। उसके कारण आंदोलन की बदनामी हुई। इसपर टिकैत ने जवाब दिया कि सरकार कानून वापसी तो नहीं चाहती, बस मुद्दों को भटकाने का प्रयास कर रही है। 

टिकैत ने कहा, 'दीप सिद्धू का एमएसपी स कोई लेना देना नहीं है। वह हमारे लिए भी मुद्दा नहीं है। मुद्दा यह है कि सरकार इन कानूनों को वापस ले और एमएसपी लागू करे ताकि किसानों का भला हो। जिन्होंने उपद्रव किया वे आज सलाखों के पीछे हैं। हम बस चाहते हैं कि सरकार कृषि कानून वापस ले, एमएसपी पर कानून बनाए और किसानों पर दायर फर्जी मुकदमे वापस हों। इसके बाद हम शांति से गांव जाएंगे और खेतीबाड़ी करेंगे।'

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सरकार के लिए देश का झंडा दूसरे नंबर पर : राकेश टिकैत

टिकैत से जब रिपोर्टर ने पूछा कि क्या आपको लगता है कि इस आंदोलन में देश विरोधी लोग आ गए हैं। इसपर टिकैत ने कहा, 'आंदोलन का लेनादेना कृषि से है। कानून वापसी की जगह सरकार तार ढूंढ रही है, ना तो हमें उस लाइन पर जाना है और ना ही उससे कोई लेना-देना है। किसानों को चक्रव्यूह में फंसाने की कोशिश की जा रही है। सरकार के लिए व्यापार ही प्राथमिकता हो गया है, इनके लिए देश का झंडा दूसरे नंबर पर हो गया है। दीप सिद्धू को किसने क्या दिशा-निर्देश दिए यह जांच का विषय है।

जो शाहीन बाग के साथ किया था, वही किसानों के साथ करने की कोशिश हुई : राकेश टिकैत

टिकैत ने भीड़ पर नियंत्रण नहीं रहने के जवाब में कहा कि जब आडवाणी-जोशी अयोध्या में थे, तब भीड़ को नियंत्रित क्यों नहीं कर सके। पीएम ने किसानों को आंदोलनजीवी कहकर ठीक ही किया। गांधी, भगत सिंह भी आंदोलनजीवी थे। पब्लिक में तो चला गया कि जो आंदोलन करेगा वह आंदोलनजीवी है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के साथ इस तरह की राजनीति नहीं करनी चाहिए। सरकार इस आंदोलन को शाहीनबाग वाला आंदोलन न समझे, किसान कहीं नहीं जाएंगे। टिकैत ने कहा कि जो काम शाहीन बाग़ वालों के साथ किया गया था, वही किसानों के साथ करने की कोशिश की गई।