नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दौर में तबलीगी जमात से जुड़े मीडिया कवरेज पर केंद्र सरकार के हलफनामे से सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं है। लगातार दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार को हिदायत दी और कहा कि बेहतर हलफनामा दाखिल करें। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में दावा किया था कि मीडिया ने तबलीगी जमात के बारे में निष्पक्ष रिपोर्टिंग की है।

चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर सुनावाई की। पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘हमने पूछा था कि केबल टीवी नेटवर्क रेग्युलेशन एक्ट से ऐसे मामलों को कैसे रोका जा सकता है? मीडिया के खिलाफ सरकार को जो शिकायतें मिलीं उस पर क्या कार्रवाई हुई? लेकिन आपने अभी तक सही ढंग से जवाब नहीं दिया।’ सुप्रीम कोर्ट ने अब केंद्र सरकार को बेहतर हलफनामा दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है।

इस मामले में अब्दुल कुद्दुस लश्कर, जमीयत उलेमा ए हिंद, पीस पार्टी और डी जे हल्ली फेडरेशन ऑफ मसाजिद मदारिस ने याचिका दाखिल की हैं। जिसमें उन्होंने कहा है कि मीडिया ने झूठी और भ्रामक खबरें दिखाई हैं। तबलीगी जमात के खिलाफ लोगों के मन में नफरत पैदा करने की कोशिश की। मीडिया द्वारा तबलीगी जमात को कोरोना फैलाने का जिम्मेदार ठहराय गया और एक विलेन के रूप में दिखाया गया। 1995 के केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेग्युलेशन) एक्ट की धारा 19 और 20 में सरकार को यह अधिकार है कि वह इस तरह के चैनलों के खिलाफ कार्रवाई कर सके। लेकिन केंद्र सरकार चुपचाप तमाशा देखती रही।