छत्तीसगढ़ में ठगों ने खोल दिया नकली बैंक, ग्रामीणों से लाखों रुपए की ठगी, मास्टरमाइंड गिरफ्तार
बैंक के फर्जी ब्रांच में जिन कर्मचारियों को नौकरी पर रखा गया था उनके पास असली जैसे दिखने वाले ऑफर लेटर थे। इन्हें मैनेजर, मार्केटिंग ऑफिसर, कैशियर और कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे पदों के लिए हायर किया गया था।

छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में ठगी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां शातिर ठगों ने SBI की फर्जी ब्रांच खोली। ब्रांच में कर्मचारियों की नियुक्ति भी की। लाखों रुपए लेकर 6 युवाओं को नौकरी पर रखा गया। उन्हें एसबीआई का अपॉइंटमेंट लेटर भी दिया गया। बाद में पुलिस की छापेमारी में पता चला कि यह बैंक का पूरा ब्रांच ही ठगी के लिए खोला गया था।
मामला मालखरौदा थाना क्षेत्र के छपोरा गांव का है। बीते 27 सितंबर को एसबीआई बैंक के फर्जी शाखा में पुलिस ने छापा मारा था। जिसमें 6 कर्मचारी मौके पर काम करते मिले। पूछताछ में पता चला कि, एसबीआई बैंक में नौकरी लगने के नाम पर पैसा लेकर ट्रेनिंग में भेजा गया था। इसके बाद वे बतौर एसबीआई कर्मचारी नौकरी कर रहे हैं। हालांकि, जांच में यह ब्रांच फर्जी मिली।
रिपोर्ट्स के मुताबिक SBI क्षेत्रीय व्यवसाय कार्यालय कोरबा के मुख्य प्रबंधक ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने पुलिस को बताया था कि छपोरा गांव में 18 सितंबर से फर्जी भारतीय स्टेट बैंक शाखा खुला है, जहां 6 कर्मचारी काम करते हैं। इन्हें अनिल भास्कर ने फर्जी जॉइनिंग लेटर देकर भर्ती किया था।
पुलिस ने 40 साल के मास्टरमाइंड अनिल भास्कर को बिलाईगढ़ से गिरफ्तार कर लिया है। उसने 8 और साथियों के नाम भी बताए हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। बिलाईगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम दुम्हानी निवासी आरोपी भास्कर ने पुलिस को बताया कि, ठगी कर उसने 6 लाख 60 हजार रुपए इकट्ठा किए। इससे सेकेंड हैंड कार आई-20 और फोन खरीदा। पुलिस ने एक कार, तीन फोन और उसके खाते से 83 हजार रुपए बरामद किए हैं।
बताया जा रहा है कि वैभवी कॉम्प्लेक्स में खुली इस कथित ब्रांच में 6 युवाओं को नियुक्ति दी गई। इन युवाओं से 2 लाख लाख रुपए लिए गए। देश के सबसे बड़े बैंक में नौकरी की चाहत में पैसे देने के लिए युवाओं ने कर्ज लिया और गहने तक गिरवी रखे। इन युवाओं को इंटरव्यू के जरिए चयनित किया गया। फिर ट्रेनिंग के नाम पर बुलाया गया और चयन के बाद कर्मचारियों को ऑफर लेटर भी दिए गए, जो देखने में असली जैसे थे।
जालसाजों ने बैंक को वैध दिखाने के लिए फर्नीचर, साइनेज, कंप्यूटर और अन्य चीजों की भी व्यवस्था की थी। बताया जा रहा है कि इनके टारगेट में कोरबा, बालोद, कवर्धा सहित अन्य जिलों के बेरोजगार युवा थे। नौकरी के नाम पर उनको ठगना था। साथ ही ग्रामीणों को बैंक में पैसे जमा कराने के नाम पर ठगना था।