शिवपुरी में 40 दलित परिवारों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया, छुआछूत और भेदभाव से थे दुखी

रिपोर्ट्स के मुताबिक बौद्ध धर्म गुरु के समक्ष सैंकड़ों लोगों ने शपथ ली कि मैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा और न ही कभी उनकी पूजा करूंगा।

Updated: Feb 03, 2024, 11:10 AM IST

शिवपुरी। हिंदू धर्म में छुआछूत व ऊंच-नीच की बातों से तंग आकर मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले करीब 40 दलित परिवारों ने बौद्ध धर्म अपना लिया। इस दौरान सैंकड़ों लोगों ने एकसाथ शपथ ली की हम ब्रह्मा, विष्णु, महेश को कभी ईश्वर नहीं मानेंगे और न ही उनकी पूजा करेंगे।

घटना शिवपुरी जिले में करैरा के ग्राम बहगवां का है। बताया जा रहा है कि गांव में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हुआ था। जाटव समाज के लोगों का कहना है कि आयोजन में सभी समाज और लोगों को अलग-अलग काम सौंपे गए थे। जाटव समाज को झूठी पत्तल उठाने का काम दिया गया। इसके चलते उन्होंने भंडारे से एक दिन पहले बौद्ध धर्म अपना लिया।

मामला 31 जनवरी का है लेकिन यह दो दिन बाद मीडिया के माध्यम से प्रशासन के संज्ञान में आया है।31 जनवरी को जाटव समाज के लोगों ने बौद्ध धर्म गुरु को गांव बुलाया था और टेंट लगाकर कार्यक्रम का आयोजन किया। 

बौद्ध धर्म गुरु ने दिलाई ये शपथ

रिपोर्ट्स के मुताबिक बौद्ध धर्म गुरु ने उन्हें शपथ दिलाई कि, "मैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा और न ही कभी उनकी पूजा करूंगा। मैं राम और विष्णु को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा और न ही कभी उनकी पूजा करूंगा। मैं गौरी, गणपति इत्यादि हिंदू धर्म के किसी भी देवी-देवता को नहीं मानूंगा और न ही उनकी पूजा करूंगा। मैं इस बात पर कभी विश्वास नहीं करूंगा कि ईश्वर ने कभी अवतार लिया है। मैं ये बात कभी नहीं मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार हैं। मैं ऐसे प्रचार को पागलपन और झूठा प्रचार समझता हूं।"

मामले पर भीम आर्मी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य महेंद्र बौद्ध ने बताया कि गांव में भंडारे में सभी समाज को काम बांटे गए। जाटव समाज को पत्तल परोसने और झूठी पत्तल उठाने का काम दिया गया। इस दौरान गांव के किसी व्यक्ति ने कहा, जाटव समाज के लोग पत्तल परोसेंगे तो पत्तल वैसे ही खराब हो जाएगी। ऐसे में इनसे सिर्फ झूठी पत्तल उठवाने का काम करवाया जाए। इसके बाद गांववालों ने कह दिया कि झूठी पत्तल उठाना है तो उठाओ, नहीं तो खाना खाकर अपने घर जाओ। इसी बुरे व्यवहार के चलते जाटव समाज ने धर्म बदल लिया।