अधिकारियों की लापरवाही के कारण BMC को चुकाना पड़ा 21 करोड़ हर्जाना, दिग्विजय सिंह ने कि जांच की मांग
भोपाल नगर निगम ने EPFO में जमा नहीं किए कर्मचारियों के भविष्य निधि की राशि, राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मोहन यादव को पत्र लिखकर की जांच की मांग
भोपाल। भोपाल में नगर निगम में कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य निधि (EPFO) में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। नगर निगम द्वारा 6 साल तक कर्मचारियों के ईपीएफ कि राशि काटकर EPFO ऑफिस में जमा नहीं कराया गया। ऐसे में ईपीएफओ कार्यालय द्वारा निगम पर 21 करोड़ का अर्थदंड लगाया गया और बाद में गलती स्वीकारते हुए निगम ने राशि भी चुकाए। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस पूरे मामले में सीएम मोहन यादव को पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
सीएम यादव को संबोधित पत्र में राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि, 'नगर निगम भोपाल में लगभग 8000 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी एवं लगभग 3200 नियमित कर्मचारी काम करते हैं। इन कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाह ई.पी.एफ. की राशि काटकर कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय (ईपीएफओ) में जमा की जानी होती है जो कर्मचारियों की ही राशि होती है तथा उस पर उन्हें नियमानुसार ब्याज मिलता है। इसी राशि से कर्मचारियों को पेंशन मिलती है।'
सिंह में मुताबिक, 'नगर निगम भोपाल द्वारा नवंबर 2016 से फरवरी 2023 तक कर्मचारियों की उक्त पेंशन निधि की राशि ईपीएफओ कार्यालय में जमा नही की गई। ई.पी.एफ.ओ. द्वारा अप्रेल 2022 से अक्टूबर 2023 तक अलग-अलग तिथियों में कुल 29 नोटिस नगर पालिक निगम भोपाल को भेजे गये जिसमें निगम को अपना पक्ष रखने को कहा गया। लेकिन नगर निगम भोपाल ने न तो कोई जवाब दिया और न ही सुनवाई पर उपस्थित हुए। ईपीएफओ ने अक्टूबर 2023 में भोपाल नगर निगम पर के खिलाफ एकतरफा कार्यवाही करते हुए उसे पृथक-पृथक आदेश द्वारा अर्थदण्ड और ब्याज सहित कुल राशि 21,11,60,748/- का भुगतान करने का आदेश दिया। निगम ने अपनी गलती को स्वीकार कर लिया और उक्त ब्याज सहित अर्थदण्ड की 21 करोड़ रूपए से अधिक की राशि का भुगतान ईपीएफओ को कर दिया गया।'
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि शहर के आम नागरिकों से संपत्ति कर, जलकर एवं अन्य अनेकानेक करों के माध्यम से एकत्रित 21 करोड़ रूपए से अधिक की राशि को गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हुये दण्ड एवं ब्याज के रूप में किसी संस्था को देना घोर कदाचरण की श्रेणी में आता है।
नगर निगम भोपाल के उक्त रवैये से निम्नलिखित प्रश्न पैदा होते है :-
1. नगर निगम द्वारा कर्मचारियों की ईपीएफ की राशि को ईपीएफओ कार्यालय में क्यों जमा नही किया गया?
2. नगर निगम द्वारा ईपीएफओ कार्यालय के 29 नोटिसों का जवाब क्यों नही दिया गया और निगम के संबन्धित अधिकारी ईपीएफओ द्वारा प्रकरण की सुनवाई के दौरान उपस्थित क्यों नही हुये ?
3. नगर निगम भोपाल के अधिकारियों द्वारा ईपीएफओ को दण्ड एवं ब्याज के रूप में 21 करोड़ रूपए से अधिक की राशि का भुगतान किसके अनुमोदन से किया गया?
4. जब एक ओर नगर निगम भोपाल के अनेक कर्मचारियों को समय पर वेतन नही मिल रहा है तो उक्त राशि का ईपीएफओ को एकाएक भुगतान किस फण्ड से किया गया?
5. ई.पी.एफ.ओ. द्वारा नगर निगम भोपाल से 21 करोड़ रूपए से अधिक के दण्ड और ब्याज की राशि वसूली गई लेकिन इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध प्रकरण क्यों दर्ज नही किया गया?
6. नगर निगम भोपाल द्वारा जनता से वसूली गई राशि को जमा करने के लिये कितने प्रायवेट बैंकों में एफडी खाते खुलवाये गये है तथा इन बैंकों में ही क्यों खुलवाये गये है? क्या सरकारी बैंकों में नगर निगम की एफडी जमा नही हो सकती है?
7. नगर निगम के प्रशासनिक एवं लेखा अधिकारियों में कितने अधिकारी और कर्मचारी निगम के अलावा अन्य विभागों/कार्यालयों से यहाॅ पदस्थ है?
सिंह ने सीएम यादव से मांग करते हुए कहा कि पत्र में उल्लेखित बिन्दुओं को गंभीरता से लेकर इनकी उच्च स्तरीय जॉच कराने एवं इसके लिये उत्तरदायी नगरीय आवास एवं विकास विभाग अथवा नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर समुचित कार्रवाई हेतु निर्देश प्रदान करें।