भोपाल/इंदौर। मध्य प्रदेश बीजेपी ने आखिरकार इंदौर महापौर के लिए अपने कैंडिडेट की घोषणा कर दी है। कांग्रेस उम्मीदवार संजय शुक्ला के खिलाफ पुष्यमित्र भार्गव बीजेपी की टिकट से चुनाव लडेंगे। भार्गव इंदौर हाईकोर्ट में एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) हैं। भार्गव की उम्मीदवारी फाइनल होने से बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की नाराजगी की खबर सामने आई है।
दरअसल, संजय शुक्ला को कांग्रेस कैंडिडेट बनाए जाने के बाद से इंदौर को लेकर बीजेपी में माथापच्ची शुरू हो गई थी। पार्टी किसी मजबूत उम्मीदवार को चुनाव में भेजना चाहती थी लेकिन खेमेबाजी के कारण यह संभव नहीं हो पाया। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अपने समर्थक को टिकट दिलाना चाहते थे। जबकि सीएम शिवराज ने डॉ निशांत खरे का नाम बढ़ाया था। लेकिन विजयवर्गीय खेमे ने डॉ खरे का खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया।
मामला बिगड़ता देख दिल्ली से लेकर भोपाल और इंदौर में मैराथन बैठकों का दौर शुरू हो गया। लाख प्रयासों के बावजूद भाजपा में आम सहमति नहीं बन पा रही थी। इसी बीच खबर आई है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व प्रांत अध्यक्ष डॉ.सचिन शर्मा का नाम भी महापौर उम्मीदवार की दौड़ में शामिल हो गया है। कहा गया कि शर्मा को सीएम हाउस से बुलावा आया है। तीन बार अभाविप के प्रांत अध्यक्ष रह चुके सचिन शर्मा आठ घंटे तक सीएम हाउस में रहे भी लेकिन वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी के बाद उनका नाम ड्रॉप कर दिया।
बताया जा रहा है कि इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश अध्यक्ष के साथ बंद कमरे में बैठक की थी। डेढ़ घंटे की बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी ने इंदौर के नेताओं को बुलाया और सीधे अपना फैसला सुनाया। संघ के हस्तक्षेप के कारण कैलाश विजयवर्गीय अपनी अनदेखी का विरोध भी नहीं कर सके। हालांकि, वह तत्काल पार्टी दफ्तर से चले गए। विजयवर्गीय खेमे के नेता अब दबे मुंह भार्गव का विरोध कर रहे हैं।