तो क्या महज़ एक बंगला पाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गिरा दी थी जनता की चुनी हुई सरकार

जिस मकान को पाने की चाहत में गिरा दी थी कमल नाथ की सरकार, अब उसी मकान को पाने के लिए सिंधिया लगा रहे हैं भाजपा से गुहार

Updated: Apr 07, 2021, 11:37 AM IST

Photo Courtesy: India.com
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भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत में अब भी यह बड़ा सवाल बना हुआ है कि आखिर वो सबसे बड़ा कारण कौन सा था जिस वजह से जीवन भर बीजेपी को कोसते आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गद्दारी की राह पकड़ ली। राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर सिंधिया की बगावत के कारण को लेकर एक नयी चर्चा चल पड़ी है। दावा किया जा रहा है कि जनता के लिए सड़क पर उतरने की धमकी देने वाले सिंधिया ने महज़ एक बंगला पाने के लिए मध्यप्रदेश की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को गिरा दिया था।  

सियासी गलियारों में इस चर्चा के शुरू होने के पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया की बंगला पाने की जद्दोजेहद है। दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली के सफदरजंग रोड पर एक बंगला चाहते हैं। और इसे पाने के लिए उन्होंने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया है। दावा है कि यह वही बंगला है जिसे पाने की चाहत में सिंधिया ने गद्दारी का कलंक अपने सिर पर लेने से पहले ज़रा भी संकोच नहीं किया।  

सिंधिया बीजेपी से सफदरजंग रोड पर स्थित मकान नंबर 26 पाने की ज़िद्द कर रहे हैं। इसी मकान में कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया रहा करते थे। खुद सिंधिया भी जब कांग्रेस की यूपीए सरकार में मंत्री थे, इसी बंगले में रहा करते थे। हालांकि सिंधिया के लिए इस बंगले की अहमियत सबसे ज़्यादा इस वजह से है कि इस बंगले से उनके बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं। सिंधिया का बचपन इसी बंगले में बीता है।

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जब मध्यप्रदेश में कमल नाथ की सरकार बनी तब मुख्यमंत्री पद की चाह रखने वाले सिंधिया के नाम पर कांग्रेस पार्टी के ज़्यादातर विधायक राज़ी नहीं थे। ज़्यादातर विधायकों की पहली पसंद भी कमल नाथ थे। मुख्यमंत्री बनने का सपना संजोए सिंधिया का एक और बड़ा सपना था जो कमल नाथ सरकार के दौरान पूरा नहीं हो सका था। वो सपना था भोपाल और दिल्ली में खुद का एक बंगला।

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मध्यप्रदेश की राजीति पर बड़ी बारीकी से नज़र रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सिंधिया ने कमल नाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में उस बंगले को पाने के लिए काफी जद्दोजेहद की थी। लेकिन कमल नाथ सरकार में सिंधिया की बंगला पाने की मुराद कभी पूरी नहीं हो सकी। जनता की चुनी हुई सरकार के प्रति सिंधिया के मन में खुन्नस इसलिए भी व्याप्त थी क्योंकि कमल नाथ सरकार के दौरान उन्हें उनका मनचाहा बंगला नहीं मिल पाया था। इसलिए 15 महीने के भीतर सिंधिया ने कांग्रेस से अपनी राहें अलग कर ली और गद्दारी का रास्ता अपना लिया। 

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जब मध्यप्रदेश की राजनीति में सिंधिया सियासी उलटफेर करने में सबसे बड़े किरदार साबित हुए,उसके बाद से ही सिंधिया एक बार फिर बंगला की कोशिशों में जुट गए। हाल ही में सिंधिया को बीजेपी की सरकार ने  भोपाल के श्यामला हिल्स में बांग्ला एलॉट कर दिया। सिंधिया भोपाल में अब अपने पुराने साथियों दिग्विजय सिंह और कमल नाथ के पड़ोसी हैं। लेकिन कथित तौर पर जिस दिल्ली वाले बंगले के लिए सिंधिया ने लोकतांत्रिक परंपराओं को ध्वस्त करने से भी कोई परहेज़ नहीं किया, वो बंगला उन्हें सियासी उलटफेर के 13 महीने बीत जाने के बाद भी नहीं मिल पाया है।