MP: तीसरा बच्चा होने पर चली गई टीचर की नौकरी, महिला का आरोप- मुझे टारगेट किया गया

मध्य प्रदेश में एक महिला टीचर को तीसरी संतान होने पर नौकरी से निकाल दिया गया। टीचर का कहना है कि सरकार की पॉलिसी का उसे पता था। मगर, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

Updated: Jun 11, 2023, 02:43 PM IST

आगर मालवा। मध्य प्रदेश के आगर मालवा में एक महिला टीचर को तीसरी संतान होने की वजह से नौकरी से निकाल दिया गया। संचालक लोक शिक्षण संभाग के इस फैसले को अब वो कोर्ट में चुनौती देने जा रही है। टीचर का कहना है कि उसे नियम की जानकारी थी, मगर गर्भपात से जान का खतरा था। ऐसे में उसने तीसरी संतान को जन्म दिया।

टीचर का कहना है कि उन्हें विशेष रूप से टारगेट किया गया है उनके साथ के ही ऐसे कई कर्मचारी हैं, जिनकी तीन संतान हैं। मगर, उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। रसायन शास्त्र की टीचर रहमत बानो आगर मालवा जिले के बीजा नगरी में शासकीय माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ थीं। संविदा वर्ग-2 की टीचर को गुरुवार को ही सेवा समाप्ति का आदेश मिला। शिकायत मध्य प्रदेश शिक्षक कांग्रेस संघ ने की थी। जांच के बाद संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग रविंद्र कुमार सिंह ने आदेश जारी किए।

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बता दें कि मध्य प्रदेश में साल 2001 से टू चाइल्ड पॉलिसी लागू है। मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियमों के तहत अगर तीसरा बच्चा 26 जनवरी 2001 के बाद जन्मा है, तो उसके माता/पिता को सरकारी नौकरी का पात्र नहीं माना जाएगा। यह नियम उच्च न्यायिक सेवाओं पर भी लागू होता है। साल 2005 तक स्थानीय निकाय चुनावों के उम्मीदवारों के लिए दो बच्चों के मानदंड का भी पालन किया गया, लेकिन सरकार ने आपत्तियों के बाद इसे बंद कर दिया। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि ऐसा नियम विधानसभा और संसदीय चुनावों में लागू नहीं है।

रहमत आगर मालवा के बड़ोद जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने साल 2003 में संविदा वर्ग-2 में नौकरी जॉइन की। बड़ोद के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में संकुल प्राचार्य के पद पर 2 साल तक पदस्थ रहीं। साल 2000 में बेटी रहनुमा, 2006 में बेटा मुशाहिद और 2009 में बेटा मुशर्रफ पैदा हुआ था। रहमत ने बताया कि रहनुमा मंदसौर से BAMS कर रही है। मुशाहिद को NEET की तैयारी के लिए कोटा में एडमिशन करवाया है जबकि तीसरा बेटा मुशर्रफ अभी स्कूल में है। उनकी पढ़ाई के लिए करीब 5 लाख की फीस देनी है। 

रहमत बानो का कहना है कि एकदम से नौकरी जाने से उनके परिवार को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। पति सईद अहमद बड़ोद में उर्दू मदरसे में काम करते हैं। बच्चों और घर की जिम्मेदारी मुझ पर है। अब बच्चों का भविष्य कैसे बनाऊंगी? मामले में एडवोकेट अनिल गर्ग ने कहा कि रहमत को नियम के तहत हटाया गया है, लेकिन मेडिकल एविडेंस अगर पुष्टि करते हैं कि गर्भपात की स्थिति में बच्चे और मां की जान को खतरा था, तो कोर्ट में स्ट्रॉन्ग ग्राउंड बन सकता है।