सीएम के विधानसभा क्षेत्र में हुआ 100 करोड़ का गेहूं भंडारण घोटाला, दिग्विजय सिंह ने उठाई जांच की मांग

सिंह ने दावा किया कि बुधनी विधानसभा क्षेत्र में निजी गोडाउन मालिकों को गेहूँ घुन जाने के आरोपों और संभावित किराये की कटौती और पेनाल्टी से बचा लिया गया।

Updated: Sep 09, 2023, 01:56 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के सीहोर जिला अंतर्गत बुधनी विधानसभा क्षेत्र में 100 करोड़ रुपए का गेहूं भंडारण घोटाले का खुलासा हुआ है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने इस पुरे मामले में जांच की मांग की है। सिंह ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल को पत्र लिखकर कहा है कि
सीएम शिवराज का गृहक्षेत्र होने के कारण मामला अति संवेदनशील है।

राज्यपाल मंगू भाई पटेल को संबोधित पत्र में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने लिखा, 'प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में हुए 100 करोड़ रूपये से अधिक के गेहूँ भंडारण घोटाले की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करा रहा हूँ। इस घोटाले में दिलचस्प यह है कि सत्ताधारी दल के करीबी वेयर हाउस मालिकों को लाखों रूपये का फायदा पहुँचाने की गरज में करोड़ों रूपये के गेहूँ को घुन जाने तक गोदामों में रखा रहने दिया गया। फिर वहां से हटवाकर शासकीय गोदामों में पटक दिया गया।' उन्होंने मांग की है कि लोकायुक्त या ई.ओ.डब्ल्यू. से इस करोड़ों रूपये के गेहूँ घोटाले की जांच कराई जाए। 

राज्यपाल को संबोधित पत्र में सिंह ने लिखा है कि, 'बुधनी क्षेत्र के दौरे के दौरान मुझे स्थानीय किसानों ने बताया कि वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 के बीच चार वर्षो में स्थानीय सहकारी समितियों द्वारा बकतरा, आमोन, जहानपुर क्षेत्र के 8 गोदामों में करीब 66 हजार टन गेहूँ समितियों के माध्यम से खरीदकर जमा कराया था। ये सभी गोडाउन मुख्यमंत्री जी के करीबी लोगों के बताये गये है। उनका गृह गांव जैत भी इन गांवों के बीच स्थित है। विगत वर्षो में 26 हजार टन गेहूँ तो पी.डी.एस. के माध्यम से बांटे जाने के लिये वितरित कर दिया गया लेकिन 40 हजार टन गेहूँ गोडाउन में ही रखा रहने दिया गया। जिसमें देखरेख के अभाव में घुन लग गई।'

सिंह ने आगे कहा, 'बुधनी क्षेत्र के किसान बताते हैं कि गोडाउन मालिकों को सतत किराया मिलता रहे इसलिये नागरिक आपूर्ति निगम और भारतीय खाद्य निगम के आला अधिकारियों ने उच्च स्तर से दबाव के चलते 100 करोड़ रूपये से अधिक कीमत का गेहूँ निजी गोडाउन से उठाया ही नहीं। किराया घोटाला करने के चक्कर में गेहूँ को घुन लगने दिया गया। जबकि निजी गोडाउन मालिकों को इस गेहूं की देखरेख करनी थी। गेहूँ संधारण के लिये उन्हें 85 रूपये प्रति टन प्रतिमाह का किराया दिया जाता है। गेहूँ खराब होने की जिम्मेदारी संबंधित गोडाउन मालिक की मानी जाती है और उसी मान से उसके किराये में कटौती करने का नियम है।'

पूर्व सीएम के मुताबिक इस घोटाले के जानकारों का कहना है कि जब 100 करोड़ रूपये कीमत का 40 हजार टन गेहूँ में घुन लग गया तो उसे उच्च स्तरीय दबाव में उठाकर रायसेन जिले की औबेदुल्लागंज तहसील के ग्राम नूरगंज और दिवाटिया स्थित वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के गोडाउन में लाकर रख दिया गया। यह निर्णय भी उच्च स्तर से निर्देशों के बाद लिया गया। ताकि घुने गेहूँ की जवाबदारी से प्रभावशाली गोडाउन संचालकों को बचाया जा सके और उन्हें 4-5 साल के किराये का करीब 17 करोड़ रूपये दिया जा सके और घुने गेहूँ की जवाबदारी वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन पर थोपी जा सके। इस बीच घुने हुये 40 हजार टन गेहूँ सीहोर जिले के बुधनी क्षेत्र से उठाकर औबेदुल्लागंज तक पहुँचाने में भी किसी अनिल चौहान नामक व्यक्ति से परिवहन कराया गया और उसे भी कुछ करोड़ रूपये का भुगतान किया गया। यह व्यक्ति मुख्यमंत्री जी का निकटतम रिश्तेदार बताया जा रहा है। अंततः यह घुना और आटा बन रहा गेहूँ नूरगंज और दिवटिया के शासकीय वेयर हाउसों में पहुँचा दिया गया। 

सिंह बताते हैं कि इस तरह बुधनी विधानसभा क्षेत्र में निजी गोडाउन मालिकों को गेहूँ घुन जाने के आरोपों और संभावित किराये की कटौती और पेनाल्टी से बचा लिया गया। इस तरह ‘‘घुन घोटाला’’ वेयर हाउसिंग के सिर पर आ गया। जब भारतीय खाद्य निगम ने घुना गेहूँ लेने से मना कर दिया और नागरिक आपूर्ति निगम ने भी सफाई करके देने से इंकार कर दिया। यह सब जिम्मेदारी वेयर हाउसिंग पर डाल दी गई। अब वेयर हाउसिंग इस 100 करोड़ रूपये के घुने गेहूँ की सफाई करने का टेंडर जारी करने वाला है। अभी यह तय नही हुआ है कि कितना गेहूँ घुन गया है और आटे में तब्दील हो गया है। 

सिंह ने पत्र में आगे लिखा कि यह मामला मुख्यमंत्री की विधानसभा बुधनी से संबंधित है। जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार की सरकारी एजेंसी शामिल है। जिन गोडाउन संचालकों को करोड़ों रूपये का किराया दिया गया है, वे सब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गांव जैत के समीपवर्ती गांवों के रहने वाले है। यह जांच का विषय है कि शीर्ष स्तर से दबाव में पहले तो समय पर गेहूँ के उठाव करने की जगह घुन जाने के लिये कई सालों तक रखा रहने दिया गया। फिर करोड़ों रूपये का किराया देकर घुना गेहूँ नूरगंज और दिवटिया स्थित शासकीय एजेंसी के मत्थे मढ़ दिया गया है। 

उक्त घोटाले की बिन्दुवार जानकारी

1. सीहोर जिले के बकतरा क्षेत्र के वेयर हाउस में वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 तक गेहूँ को 4-5 वर्ष इसलिये रखा गया ताकि सत्ता के शीर्ष ठिकाने से जुड़े वेयर हाउस मालिकों को लाखों रूपये का किराया दिया जा सके। ये गोडाउन किन प्रभावशील लोगों के है, यह जांच का विषय है।

2. 34000 मीट्रिक टन गेंहूँ में जब कीड़े लग गये तो चुपचाप से उसे म.प्र. वेयर हाउस के ओबेदुल्लागंज तहसील में स्थित दिवटिया और नूरगंज के गोदामों में भेज दिया गया।

3. गेहूँ को बकतरा से दिवटिया अथवा नूरगंज इसलिये भेजा गया ताकि कीड़े लगने से जो नुकसान हुआ उसकी वसूली बकतरा के वेयर हाउस मालिकों से न की जाये और उन्हें लाखों रूपये किराये में दिये जा सके।

4. बकतरा से नूरगंज, दिवटिया तक का परिवहन आपके परिचित श्री अनिल चौहान ने किया इसमें भी करोड़ों रूपये की राशि की हेराफेरी की गई। जबकि घुने गेहूँ के परिवहन की कोई जरूरत ही नही थी। 

5. सरकारी समितियों से गेहूँ खरीदी के 8 से 10 माह में गेहूँ या तो एफ.सी.आई. उठाव कराती है या सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उचित मूल्य की दुकानों से लक्षित परिवारों को बांटा जाता है। इस घोटाले के लिये समय पर न तो संबंधित और जिम्मेदार एजेंसियों ने उठाया न ही गरीबों को वितरित किया।

6. अतिरिक्त खाद्यान का स्टॉक होने पर नीलामी की जाती है परन्तु यहाँ 4-5 वर्षो तक जानबूझ कर गेहूँ इसलिये रखा गया ताकि उसकी राजनैतिक संरक्षण रखने वाले गोदाम मालिकों को एक-एक गोदाम में 40-50 लाख रूपये से अधिक की धनराशि किराये में मिल सके। 

दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल से कहा कि यह ‘‘घुना गेहूँ घोटाला’’ बुधनी विधानसभा और मुख्यमंत्री जी के गृह ग्राम जैत के समीपवर्ती क्षेत्रों से जुड़ा है, इसलिये मामला ओर गंभीर हो जाता है। आपको इस मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिये। वैसे भी इस मामले में गेहूँ खरीदी करने वाली एजेंसी से लेकर नागरिक आपूर्ति निगम और म.प्र. वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के उच्च अधिकारी सीधे तौर पर पत्राचार से लेकर निर्णय लेने तक की प्रक्रिया में शामिल है। सिंह ने कहा कि यह मामला बुधनी विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण अति संवेदनशील है। एक कार्यक्रम के दौरान गोदाम मालिकों ने उनसे बचाने की गुहार भी लगाई थी। इसलिये 100 करोड़ रूपये के गेहूँ घुन घोटाले की या तो लोकायुक्त से जांच कराई जाये या राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरों को जांच के लिये सौंप दिया जाए।