वन नेशन-वन इलेक्शन पर नहीं मिला संसद का सपोर्ट, मामला अब JPC में
मोदी सरकार को 129वां संविधान संशोधन बिल पास कराने के लिए 2/3 बहुमत की जरूरत है। इतना बहुमत सरकार के पास नहीं है।

नई दिल्ली। लोकसभा में मंगलवार को एक देश, एक चुनाव के लिए 129वां संविधान (संशोधन) बिल पेश किया। बिल के लिए पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई। कुछ सांसदों की आपत्ति के बाद वोट संशोधित करने के लिए फिर पर्ची से मतदान हुआ। इस दौरान बिल को पारित करने के लिए आवश्यक बहुमत साबित करने में केंद्र सरकार नाकाम रही। दिलचस्प बात ये है कि भाजपा के 20 के करीब सांसद वोटिंग में अनुपस्थित रहे।
मंगलवार को 12:10 बजे केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पेश किया। विपक्षी सांसदों ने बिल का विरोध किया, जिसके बाद स्पीकर ओम बिड़ला ने बिल पेश करने को लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई। इसमें 369 सदस्यों ने वोट डाला। पक्ष में 220, विपक्ष में 149 वोट पड़े। इसके बाद विपक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर उनको ऑब्जेक्शन है तो पर्ची दे दीजिए। इस पर स्पीकर ने कहा कि हमने पहले ही कहा था कि अगर किसी सदस्य को लगे तो वह पर्ची के जरिए भी अपना वोट संशोधित कर सकता है। इसके बाद ज्यादा सांसदों ने वोट डाला। पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 मत पड़े।
कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने कहा कि 129वां संविधान संशोधन बिल पास करने के लिए कुल 461 वोटों में से दो-तिहाई बहुमत यानी 307 वोटों की जरूरत थी। लेकिन, सरकार को सिर्फ 269 वोट मिले। विपक्ष की तरफ से 198 वोट पड़े। इससे समझा जा सकता है कि सरकार लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल के लिए दो-तिहाई बहुमत जुटाने में फेल हो गई है।
लोकसभा की 543 सीटों में एनडीए के पास अभी 292 सीटें हैं। दो तिहाई बहुमत के लिए 362 का आंकड़ा जरूरी है। वहीं, राज्यसभा की 245 सीटों में एनडीए के पास अभी 112 सीटें हैं, वहीं 6 मनोनीत सांसदों का भी उसे समर्थन है। जबकि विपक्ष के पास 85 सीटें हैं। दो तिहाई बहुमत के लिए 164 सीटें जरूरी हैं।
लोकसभा में खुद भाजपा के ही 20 सांसद अनुपस्थित थे। ऐसे में पक्ष में महज 269 वोट मिले। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पार्टी अब गैर हाजिर रहने वाले सांसदों को नोटिस भेजेगी। सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने सांसदों के वोटिंग से गैर हाजिर रहने को गंभीरता से लिया है। पार्टी ने अब इन सांसदों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसमें उनसे पूछा जाएगा कि आखिर क्यों वह लोकसभा में वोटिंग के दौरान गैर हाजिर थे। बहरहाल, आवश्यक बहुमत नहीं होने के कारण अब इसे आम सहमति के लिए JPC के पास भेजा जाएगा।