Asghar Wajahat : गांधी का पुतला

Laghu Kathayen : गांधी की प्रासंगिकता को बताती असगर वजाहत की दस लघु कहानियां

Publish: Jul 06, 2020, 04:20 AM IST

1.

गांधी के पुतले को यह समझ कर गोली मारी गई थी कि पुतले को मारी जा रही है। लेकिन गोली गांधी को लगी।

पुतले के पीछे से गांधी निकल आए। गोली मारने वालों ने कहा यह तो हमारे लिए बहुत खुशी की बात है कि गोली असली गांधी को लगी है । पर चिंता की बात यह है कि अगले साल जब हम पुतले को गोली मारेंगे तो उसके पीछे से गांधी कैसे निकलेगा ।

गांधी ने कहा तुम चिंता मत करो हर साल तुम पुतले को गोली मारना और हर साल उसके पीछे से गांधी निकलेगा।

2.

गांधीजी के पुतले को जब गोली मारी गई और खून बहने लगा तो अचानक सभा में कर्नल डायर आ गया उसके चेहरे से खुशी फूटी पडती थी। उसने अंग्रेजी में गोली मारने वालों से कहा, वेल डन ....जो काम हमारा पूरा साम्राज्य नहीं कर सका वह काम तुम लोगों ने कर दिया है। हम तुम्हारे बड़े आभारी हैं। अगर कभी कोई काम हो तो बताना।

डायर के पीछे-पीछे ऊधम सिंह भी आ गए थे पर उन्हें कोई देख नहीं पाया।

3.

गांधी के पुतले पर गोली चलाने वालों ने सोचा कि उन्हें अधिक प्रामाणिक होना चाहिए। इतिहास बताता है की गोली लगने के बाद गांधी ने 'हे राम' कहा था, इसलिए गोली चलाने वाले ने अपनों में से किसी आदमी से कहा कि गांधी के पुतले पर गोली लगते ही वह हे राम बोले। हे राम बोलने वाला तैयार हो गया।

गोली चली, गांधी के लगी, खून बहा लेकिन हे राम कहने वाला, हे राम न बोल सका। वह केवल हे-हे करता रह गया।

4.

गांधी के पुतले पर गोली चली। पुतला गिर गया और देखा गया के पुतले के पीछे तो तमाम लोगों की लाशें पड़ी हैं।

पहचानने की कोशिश की गई तो पता चला कि वे चम्पारन के किसानों की लाशें हैं।

5.

गांधी के पुतले को जब गोली मारी गयी तब एक देववाणी हुई। आकाश से आवाज आई- अरे मूर्खों पुतले को क्या मार रहे हो। मारना ही है तो गांधी की आत्मा को मारो।

मारने वालों ने कहा- आत्मा क्या होती है हमें नहीं मालूम।

देववाणी ने कहा- आत्मा तो सबके अंदर होती है। तुम लोग भी आत्मा को खोज कर देखो ।

उन्होंने कहा- हमें नहीं मिलती। हम सौ साल से खोज रहे हैं।

6.

गांधी को गोली मारने वालों ने सोचा कि पुतले को कब तक गोली मारेंगे क्यों न उन लोगों को गोली मारी जाए जिन्होंने फिल्मों और नाटक में गांधी की भूमिकाएं की हैं । बस यह विचार आना था कि वे आनन-फानन में उन सब अभिनेताओं को पकड़ लाए जिन्होंने गांधी की भूमिका की थी।

उनसे कहा गया, तुम्हें गोली मार दी जाएगी क्योंकि तुम गांधी बने थे।

उन्होंने कहा ठीक है लेकिन हमें गोली मारने वाले गोडसे होंगें न... क्या उन्हें फांसी पर लटकाया जाएगा?

7.

पहले तो मीडिया की यह हिम्मत ही नहीं पड़ रही थी कि वह इस विवाद में शामिल हो। जब एक पत्रकार ने चैनल के मालिक से इस बारे में बात की तो मालिक पर उसकी प्रतिक्रिया यह हुई कि उसकी कुर्सी फट गई । मतलब कुर्सी में छेद हो गया। मालिक ने कहा इस छेद के अंदर झांक कर देखो। तुम्हें इसमें अपना भविष्य दिखाई देगा। पत्रकार ने छेद में झांका और वास्तव में उसका भविष्य दिखाई दिया दिया।

चैनल के मालिक ने कहा, अब तुम अगर इस मामले में कुछ करना ही चाहते हो तो स्वर्ग में जाकर गांधी जी को इंटरव्यू करो। पत्रकार गांधी जी के पास स्वर्ग में जा पहुंचा ।गांधी जी बैठे चरखा कात रहे थे ।उनसे पत्रकार ने पूछा, महात्मा जी आप के पुतले को गोली मारी गई है। आपको कैसा लग रहा है?

गांधी जी ने कहा, मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है।

पत्रकार ने पूछा, अच्छा क्यों लग रहा है?

गांधी जी ने कहा, इसलिए कि पहले उन्होंने एक निहत्थे को गोली मारी थी। और अब उन्होंने एक पुतले को गोली मारी है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि वे उसे गोली कभी नहीं मारेंगे जिसके हाथ में कोई हथियार होगा।

8.

गांधी जी से स्वर्ग में बताया गया कि आपको गोली मारने वाले आपको अपना शत्रु मानते हैं। गांधी जी ने कहा, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं।

पत्रकार ने पूछा, आपको कैसा लग रहा है महात्मा जी?

गांधी जी बोले, मुझे अच्छा लग रहा है।

पत्रकार ने पूछा, क्यों ?

गांधी ने कहा, इसलिए कि अंग्रेज भी मुझे शत्रु मानते थे... मेरे शत्रुओं को एक मित्र मिल गया है।

9.

गांधी के पुतले को गोली मारने वालों से पूछा गया कि आप गांधी को गोली क्यों मार रहे हैं? वे तो बहुत पहले मार दिए गए थे।

गांधी के पुतले को मारने वालों ने कहा, सब को यही भ्रम है।

- फिर

- गांधी को गोली तो ज़रूर मारी गयी थी पर वह मरा नही था।

- ये आप क्या कह रहे हैं?

- हम सच कह रहे हैं।

- तो फिर?

- हम लगातार मार रहे हैं।पर वह मरता ही नहीं।अगले साल फिर मारेंगे।

10.

गांधी का पुतला बनाने वाले ने बहुत मेहनत से पुतला बनाया। जब पूरा पुतला तैयार हो गया तो उसने पुतले को चश्मा पहना दिया।

पुतले को गोली मारने वाले उत्तेजित हो गए। उन्होंने कहा यह चश्मा उतारो। गांधी को चश्मा नहीं पहनाना है ।

पुतला बनाने वाले ने कहा, वे तो चश्मा पहनते थे ।

उन्होंने कहा, पहनते थे और यही तो सबसे बड़ी बुराई थी।

- चश्मे से क्या बुराई' उससे तो साफ दिखाई देता है ।

- हां हम नहीं चाहते कि पुतले को कुछ साफ दिखाई दे।चश्मा हमें दे दो। इस चश्मे से बड़े काम लेना हैं।

- क्या काम लेना है?

- इसके दोनों शीशों को घिसना बाकी रह गया है।