भाजपा सरकार ने छीने सरपंचों के अधिकार, सरपंच संघ के आंदोलन के समर्थन में उतरे दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से आह्वान किया है कि वे भी अपनी निकटतम ग्राम पंचायतों में 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के दिन राष्ट्रीय सरपंच संघ के प्रदर्शन में शामिल होकर पंचायती राज को मजबूत करने में अपना योगदान दें।

Updated: Oct 01, 2024, 02:40 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय सरपंच संघ की मांगों का समर्थन किया है। सिंह 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय सरपंच संघ की मध्य प्रदेश इकाई द्वारा किये जा रहे प्रदेशव्यापी प्रदर्शन के समर्थन में सागर जिले की बीना तहसील की ग्राम पंचायत सतोरिया में पंचायत प्रतिनिधियों एवं स्थानीय जनों के साथ अधिकारियों को ज्ञापन सौपेंगे। सिंह ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी आह्वान किया है कि वे भी अपनी निकटतम ग्राम पंचायत में 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के दिन राष्ट्रीय सरपंच संघ के प्रदर्शन में शामिल होकर पंचायती राज को मजबूत करने में अपना योगदान दें।

पूर्व मुख्यमंत्री ने इस संबंध में एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि महात्मा गांधी जी की कल्पना थी कि देश में पंचायती राज के माध्यम से गांव में हर व्यक्ति को अपने संसाधन, अपने भविष्य और सामूहिक रूप से उसको पालन करने का उसका योजना के माफिक काम करने का अधिकार उसको सौंपना चाहिए। उसी भावना के साथ राजीव गांधी जी ने भारतीय संविधान में परिवर्तन का प्रस्ताव लाया था। दुर्भाग्य से भारतीय जनता पार्टी ने उस प्रस्ताव का संविधान संशोधन राज्यसभा में गिरा दिया। दुर्भाग्य से राजीव गांधी जी की हत्या कर दी उसके बाद नरसिम्हा राव जी ने उनका सपना पूरा किया और उस सपने के आधार पर जब पहली बार पंचायत चुनाव हुए तब मैं मुख्यमंत्री था मैंने उसी भावना के अनुसार मध्य प्रदेश पंचायती राज में परिवर्तन किया और परिवर्तन करने के पश्चात उसमें संशोधन किये और पहला चुनाव करवाया।मैंने महिलाओं को आरक्षण दिलवाया और ग्राम सभाओं को अधिकार दिए। सरपंचों को अधिकार दिए, जनपद/ब्लॉक पंचायत को अधिकार दिए, जिला परिषद के अध्यक्षों को अधिकार दिए और प्रशासन को निचले स्तर पर हर गांव तक पहुंचाने का प्रयास किया। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने पूरी व्यवस्था को गड़बड़ा दिया और आज सरपंचों के पास कोई अधिकार नहीं है।

सिंह ने कहा कि जो राष्ट्रीय सरपंच संघ ने मांग की है उसे हमें समर्थन करना चाहिए उसका जो प्रतिवेदन है उसका मैं पूर्णतः समर्थन करता हूं। मेरी आपसे प्रार्थना है कि 2 अक्टूबर को गांधी जी के जन्म दिवस पर यह मांग हम हर ग्राम पंचायत के सचिव को ज्ञापन के रूप में सौंपेंगे कि मुख्यमंत्री जी जागिए और हमें पंचायत का अधिकार दीजिए। मंत्री प्रहलाद पटेल हमेशा से किसान और गांव के लोगों की बात करते आए हैं आप भी जागिए। अगर ये मांग पूरा नहीं होता है तो 18 अक्टूबर 2024 को हम हर गांव में बाहर निकल कर पक्की सड़क पर हम चक्काजाम 12:00 बजे से लेकर 2:00 बजे तक करेंगे। आप सब उसमें शामिल होईये। जो पंचायती राज के समर्थक हैं, वे शामिल होएं और कोई अगर जरूरी काम से जा रहा है तो उसे निकलने देंगे। लेकिन 2 घंटे के लिए आप पंचायती राज को मजबूत करने के लिए आप हमें दीजिए।

राष्ट्रीय सरपंच संघ की 20 सूत्रीय मांगे

1. मनरेगा को मूलरूप में लाये जाने के लिए केन्द्र सरकार से आप सहयोग मांगे यदि आपको सहयोग नही मिलता है तो आप राज्य की नई रोजगार गारंटी योजना बनाकर मजदूरी का भुगतान सामग्री का भुगतान की पारदर्शी एवं सुदृढ व्यवस्था स्थापित करें कि सरपंच ग्रामीण अधोसंरचना के छोटे मोटे कार्य स्वतंत्र रूप से कर सकें तथा मजदूरों को तत्काल मजदूरी उपलब्ध करा सकें।
2. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए स्वसहायता समूह के लाभार्थी सदस्यों को मनरेगा से जोड़कर हितग्राही मूलक योजनाओं को बढ़ावा दिया जाये जैसे के पशु शेड, मुर्गी शेड, बकरी शेड, सुअर पालन शेड के निर्माण कराये जायें ताकि ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था मजबूत हो।
3. म.प्र. शासन द्वारा ग्राम पंचायतों को 25 लाख रूपये के अधिकारी दिये गये लेकिन तकनीकी स्वीकृति जिला स्तर में परेशानी होती इसलिए इसे जनपद पंचायत स्तर पर ही किया जावे और प्रशासनिक स्वीकृति का सरलीकरण किया जाये।
4. ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था कृषि के रोजगार के नये अवसर निर्मित करने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में दो खेत सड़क योजना चालू की जावे।
5. ग्राम पंचायत विकास निधि गठित कर सरपंच निधि बनाई जावे जिससे जरूरत पड़ने पर अचानक कोई भी कार्य किये जा सकें। यदि किसी के घर आगजनी होने पर प्राकृतिक आपदा में तत्काल आर्थिक सहयोग हो सके इसलिए इसका गठन अतिआवश्यक होगा। इसमें राशि 1 लाख रूपये प्रतिवर्ष पंचायत को दी जाने की मांग की जावे।
6 ग्राम पंचायतों को आर्थिक रूप से सुदृड़ बनाने के लिये नई आर्थिक गतिविधियों के संचालन से जोड़ा जाये।
7. पैसा एक्ट के लागू होने से ग्राम पंचायत एवं ग्राम सभाओं में टकराव न हो इसकी समीक्षा एवं निदान हो।
8. सरकारी कर्मचारियों की तरह सरपंचों एवं पचों का 20 लाख रू. का जीवन बीमा की व्यवस्था की जावे एवं न्यूनतम पेंशन 2000/- रू. की जावे।
9. चैकडेम, एनीकट की आवश्यकता प्रत्येक पंचायत में हो परंतु जंगल को खत्म कर जो बनाये जा रहे है इसमें प्रत्येक एनीकट चेकडेम का भुगतान 25 प्रतिशत तीन वर्ष बाद किया जावे क्योंकि जो पेड काटे जा रहे है वहां पर नये वृक्ष लगाये जावे और उनका रखरखाव तीन वर्ष तक ग्राम पंचायत करे उसके उपरांत भुगतान को यदि पूर्ण भूगतान होता है तो जनपद पंचायत के सीईओ को भी दोषी माना जावे।
10. 15 वित्त राशि की डीपीआर एक बार बनाकर उपयंत्री सहायक यंत्री के हस्ताक्षर होने पर इसे की टी. एस. माना जावे जिससे बार बार टी. एस. के नाग पर कमीशन नही देना पड़े और उपयंत्रियों की परेशानी से सरपंच बच सके इसलिए मूल्यांकन सरपंच/सचिव/सहसचिव/वार्ड पंच व चार अन्य पंचों के हस्ताक्षर से मूल्यांकन करवा लिया जाए और लैब रिपोर्ट संलग्न कर कार्य का पूर्णता प्रताण पत्र जारी किया जाए।
11. टाइड अनटाइड व्यवस्था समाप्त करने के लिये राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकर को प्रस्ताव भेजे।
12. ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के अंतर्गत सरपंच को नोटिस मनरेगा के कार्यों में न दिया जाये। नोटिस देने का अधिकार कलेक्टर को होना चाहिए। पद से पृथक करने का अधिकार राज्यपाल महोदय के अनुमोदन से किया जाए, क्योंकि यह जनता द्वारा चुना हुआ जनप्रतिनिधि है।
13. ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 22 के अंतर्गत जनपद पंचायतों में बैठक रोस्टर के हिसाब से सरपंचों को नही बुलाया जाता है इसके लिए सभी जनपदों को आदेश करने की व्यवस्था करें।
14. रोजगार सहायक व सचिव की सी.आर. लिखने का अधिकार सरपंच को होना चाहिए और उनका वेतन और अवकाश के अधिकार पूर्ण रूप से ग्राम पंचायत को दिये जाये जिसके कार्य सुचारू रूप से कर सके। रोजगार सहायक का स्थानांतरण नीति जल्द लागू की जाये।
15. म.प्र. शासन द्वारा जारी पत्र दिनांक 01.07.2024 को वापिस लिया जाये। पंचायतों में अधिकतम कार्यों की सीमा 20 को हटाया जाये।
16. सी.एम. हेल्पलाईन (181) पर झूठी शिकायत करने पर शिकायतकर्ता घर एफ.आई. आर. दर्ज होनी चाहिए।
17. प्रधानमंत्री आवास व मुख्यमंत्री आवास प्रत्येक पंचायत में दिए जावे।
18. सरपंच का मानदेय रू. 15000/- प्रतिमाह दिया जावे।
19. उपसरपंचों को 3000 रु प्रतिमाह मानदेय दिया जावे।
20. सरपंचों के विरूद्ध अपशब्द / जेल भेजने की धमकी व अपमानजनक बयान देने वाले मंत्री गौतम टेटवाल (राज्यमंत्री, कौशल विकास एवं रोज़गार) का तत्काल प्रभाव से मंत्री पद से इस्तीफा लिया जाए।