ग्वालियर हाईकोर्ट के नामी वकील सुरेश अग्रवाल ने की आत्महत्या, फांसी के फंदे पर लटका मिला शव
हाईकोर्ट के प्रख्यात वकील सुरेश अग्रवाल का शव रविवार देर रात उनके फ्लैट में फांसी के फंदे पर लटका हुआ मिला। सुरेश अग्रवाल पिछले कुछ महीनों से डिप्रेशन में थे और उनका इलाज भी चल रहा था।
ग्वालियर के बलवंत नगर स्थित मनोहर एन्क्लेव में हाईकोर्ट के प्रख्यात वकील सुरेश अग्रवाल का शव रविवार देर रात उनके फ्लैट में फांसी के फंदे पर लटका हुआ मिला। यह फ्लैट उन्होंने तीन महीने पहले ही खरीदा था और अक्सर सुरेश मनोहर एन्क्लेव नहीं आते थे। रविवार को सुबह करीब 9 बजे वे अपने घर से ऑफिस के लिए निकले थे, लेकिन वहां नहीं पहुंचे, जिससे परिजन और वकील साथियों को चिंता हुई। दिनभर उनकी कोई खबर नहीं मिलने पर परिजनों ने तलाश शुरू की और मनोहर एन्क्लेव के फ्लैट पर पहुंचे, जहां उन्होंने देखा कि सुरेश अग्रवाल का शव फांसी के फंदे से लटका हुआ था।
फ्लैट में शव के पास से सुरेश अग्रवाल की जन्म कुंडली मिली, जो उनके बचपन में हाथ से बनाई गई थी। इसके अलावा एक रजिस्टर भी वहां रखा मिला, जिसमें वे अपने दैनिक जीवन की बातें लिखा करते थे, हालांकि जून के बाद से उसमें कोई भी प्रविष्टि नहीं की गई थी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, सुरेश अग्रवाल पिछले कुछ महीनों से डिप्रेशन में थे और उनका इलाज भी चल रहा था।
चार महीने पहले एक हाईकोर्ट जज के साथ कथित अभद्रता के मामले के बाद बार एसोसिएशन ने उन्हें निलंबित कर दिया था, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा था। उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला भी चल रहा था और दो दिन बाद उसकी सुनवाई तय थी। इन सभी परिस्थितियों ने उनके मानसिक तनाव को बढ़ा दिया था।
सुरेश अग्रवाल ने ग्वालियर के कई चर्चित मामलों में पैरवी की थी। इनमें सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा विवाद शामिल था, जिसमें उन्होंने स्वतंत्र याचिकाकर्ता के रूप में पैरवी की थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने प्रतिमा को फैसले तक टीन की चादर से ढकने का आदेश दिया था और जाति विशेष के नाम की पट्टिका को कवर कर दिया था। इसके अलावा, उन्होंने संत पॉल चर्च के फादर थॉमस थन्नॉट की संदिग्ध सड़क दुर्घटना में मौत के मामले को भी उठाया था, जिसमें उनकी याचिका के बाद फादर के शव को कब्र से निकालकर पैनल द्वारा पोस्टमॉर्टम किया गया था।
सुरेश अग्रवाल ने आर्य समाज में माता-पिता की सहमति के बिना होने वाली शादियों को भी अदालत में चुनौती दी थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने आर्य समाज में होने वाली शादियों की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए इन पर रोक लगा दी थी और माता-पिता की सहमति अनिवार्य कर दी थी। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं, जो इस दुखद घटना के बाद गहरे सदमे में हैं।
पुलिस अधीक्षक अखिलेश रेनवाल ने बताया कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। सुरेश अग्रवाल की आर्थिक स्थिति अच्छी थी और उनके परिवार के साथ एक भाई भी रहता था। पुलिस अभी पता लगाने कि कोशिश कर रही है उनकी आत्महत्या के पीछे डिप्रेशन और कानूनी परेशानियों का कितना बड़ा हाथ था या कोई और भी कारण है।