लंबे इंतजार, धरना और मुकदमों के बाद किसानों की CM से मुलाकात करवा पाए दिग्विजय सिंह, कमलनाथ भी रहे साथ

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व PCC चीफ कमलनाथ के नेतृत्व में टेम व सुठालिया डूब प्रभावित किसानों के प्रतिनिधियों ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत कराया

Updated: Jan 23, 2022, 04:32 PM IST

भोपाल। डेढ़ महीने के इंतज़ार, 353 और 188 के मुकदमों और कई पत्रों के बाद आखिरकार आज दिग्विजय सिंह किसानों से सीएम की मुलाक़ात करवा पाए हैं। खास बात यह है कि सिंह के साथ पीसीसी चीफ कमलनाथ भी मौजूद रहे। कांग्रेस के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ गए किसानों ने सीएम शिवराज को अपनी समस्याओं से अवगत कराया। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दौरान कांग्रेस नेताओं के साथ गए किसानों से मुख्यमंत्री ने एक एक कर मुलाकात की। किसानों ने सीएम चौहान को बताया कि उनका घर-बार डूब प्रभावित क्षेत्र में आ रहा है, बावजूद मुआवजे के नाम पर उन्हें छला जा रहा है। वे अपना सबकुछ छोड़ दूसरे स्थान पर विस्थापित होने को मजबूर हैं, लेकिन विस्थापन के लिए जरूरी सहायता भी सरकार नहीं दे पा रही है।

दरअसल, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने बीते दिनों अपनी जन जागरण यात्रा के दौरान भोपाल, राजगढ़, विदिशा और गुना जिले में टेम, पार्वती और सुठालिया सिंचाई परियोजनाओं के अंतर्गत डूब में आ रहे किसानों और पीड़ितों से मुलाकात की थी। इलाके के हजारों परिवारों की समस्या देख उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इसके समाधान का आश्वासन दिया। पीड़ितों की इन समस्याओं को लेकर दिग्विजय सिंह ने पहले दो बार सरकार को चिट्ठी लिखी। फिर सुनवायी न होने पर किसानों के साथ धरने पर बैठे थे। धरने के बाद सीएम बैकफुट पर आए और किसानों के डेलिगेशन को मिलने का समय दिया। हालांकि, इस धरने के लिए दिग्विजय सिंह समेत 25 अन्य लोगों को धारा 353 और 188 का मुकदमा भी झेलना पड़ा।

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शुक्रवार को दिग्विजय सिंह के धरने के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज से पीसीसी चीफ कमलनाथ के मुलाकात की भी तस्वीरें सामने आई। इस मुलाकात ने प्रदेश की सियासत को गर्म कर दिया। हालांकि, कमलनाथ ने स्पष्ट किया कि यह महज एक इत्तेफाक था। कमलनाथ खुद दिग्विजय सिंह के धरने में शामिल होने भही आए थे। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने भी कहा कि हमारी दोस्ती 40 वर्षों की है हम जो भी करेंगे साथ में करेंगे।

किसानों के साथ कांग्रेस के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों का पहुंचना एक संदेश के तौर भी पर देखा जा रहा है। दोनों नेताओं ने आपसी रिश्तों को लेकर चल रहे कयासों पर विराम लगा दिया है। बहरहाल, अब देखना यह होगा कि सरकार किसानों को उचित मुआवजा देती है या नहीं?