ग्वालियर: किसी का मकान टूटने नहीं देंगे, ये मेरी जिम्मेदारी, मीरा नगर के लोगों से दिग्विजय सिंह का वादा

शराब दुकान का विरोध किया तो नगर निगम ने भेजा घर तोड़ने का नोटिस, जानकारी मिलते ही पीड़ितों से मिलने पहुंचे पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, बोले- एक भी मकान टूटने नहीं देंगे

Updated: Apr 11, 2022, 09:36 AM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित मीरा नगर के लोगों ने शराब दुकान का विरोध किया तो नगर निगम ने उन्हें घर तोड़ने नोटिस भेज दिया। मामले की जानकारी मिलते ही पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ग्वालियर पहुंचे और उन्होंने रहवासियों से वादा किया कि मेरे रहते किसी एक का भी घर नहीं तोड़ा जाएगा।

दरअसल, राज्यसभा सांसद सीएम दिग्विजय सिंह सोमवार को अपने एक दिवसीय ग्वालियर दौरे पर पहुंचे। यहां उन्होंने मीरा नगर में रह रहे अनुसूचित जाति के लोगों से मुलाकात की। सिंह को रहवासियों ने नगर निगम की नोटिस के बारे में जानकारी दी थी। इस दौरान उन्होंने रहवासियों से वादा किया कि उनके रहते किसी एक का भी मकान नहीं तोड़ा जाएगा। यह उनकी जिम्मेदारी है। 

जानकारी के मुताबिक नगर निगम के चतुर्थ वर्ग के 15 कर्मचारियों को सन 1983 में सरकार ने 30 साल के लिए पट्टे दिए थे। तब से वे मीरा नागर में मकान बनाकर रह रहे हैं। साल 2013 में पट्टे की समय अवधि खत्म हो गई, लेकिन उन्हें हटने के लिए नहीं कहा गया। अचानक 9 साल बाद ग्वालियर नगर निगम ने उन्हें घर तोड़ने का नोटिस दिया है। रहवासियों का आरोप है कि यह नोटिस तब मिला जब रहवासियों ने शराब दुकान खोलने का विरोध किया।

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मीरा नगर निवासी हुकुम सिंह जाटव ने हम समवेत को बताया कि इस साल यहां बस्ती में शराब दुकान खोलने की तैयारियां थी। रहवासियों ने मोहल्ले में शराब दुकान खोलने का विरोध किया था। विरोध के बाद शराब दुकान तो नहीं खुली लेकिन अब शराब माफिया हमारा आशियाना उजाड़ने पर तुले हुए हैं। शराब माफियाओं ने रसूख के दम पर अधिकारियों पर दबाव बनाया कि इस पूरी बस्ती को ही हटा दिया जाए।

हुकुम सिंह जाटव ने कहा कि जब हमारी लीज खत्म हो चुकी थी तो बीते 9 वर्षों में किसी को ध्यान क्यों नहीं गया। हमें 6 अप्रैल को नोटिस भेजा गया कि तीन दिन के भीतर घर खाली कर दो। साफ है कि हमने शराब दुकान के खिलाफ आंदोलन किया तो अब शराब माफिया इस तरीके से बदला लेना चाहते हैं। हम गरीब लोग घर छोड़कर कहां चलें जाएं। 40 साल से जहां रह रहे हैं, अचानक घर छोड़ देंगे। ये कहां का न्याय है?

मीरा नगर निवासी गोपीलाल भारतीय ने कहा कि नगर निगम का आदेश शासन की आवास नीति एवं एससी/एसटी एक्ट का उल्लंघन है। 40 वर्ष पहले लीज की शर्तें अंग्रेजी भाषा में लिखी गई थी, जो किसी लीजधारक के संज्ञान में नहीं है। 15 में से 11 लीजधारक जीवित भी नहीं हैं। सरकार बताए कि अब हम कहां रहने जाएं? दशकों की मेहनत और खून-पसीने की कमाई से दो मंजिला घर बनाया है, उसे नगर निगम के कहने से खाली कर दें?