मध्य प्रदेश में साढ़े चार लाख कर्मचारियों का प्रमोशन रुकने से कामकाज पर असर

पिछले 4 वर्षों से लगी है प्रमोशन पर पाबंदी, सुप्रीम कोर्ट में है अटका है मामला, लेकिन कुछ चुनिंदा अफसरों को अब भी मिल रहा है फ़ायदा

Updated: Nov 24, 2020, 05:13 PM IST

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भोपाल। मध्य प्रदेश गठन के 64 वर्षों के इतिहास में पहली बार प्रदेश के करीब साढ़े चार लाख कर्मचारियों का प्रमोशन रुका हुआ है। जिससे सरकारी कामकाज ठीक से करने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि आम कर्मचारियों के प्रमोशन पर पाबंदी के बावजूद सरकार एकल पद वाले करीब पांच हज़ार अफसरों को बखूबी प्रमोट कर रही है।  

पिछले चार सालों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से प्रदेश सरकार के कर्मचारियों का प्रमोशन अटका हुआ है। इसका नतीजा यह हुआ है कि प्रशासनिक ढांचा चरमरा गया है। प्रमोशन नहीं होने से कई विभागों में अधिकारियों की कमी हो गई है। वल्लभ भवन में ही एक अधिकारी को दो से तीन बड़े विभागों का प्रभार सौंप दिया गया है। इस कारण वे ढंग से मूल पदस्थापना वाली जगह भी काम नहीं कर पा रहे हैं और प्रभार में जो नया विभाग मिला है वहां तो ध्यान ही नहीं दे पा रहे हैं। पदोन्नति न मिलने से नाराज होकर अफसरों और कर्मचारियों ने हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है।

वर्तमान में राज्य के करीब 4 लाख 47 हजार कर्मचारी प्रमोशन से वंचित हैं। हैरानी की बात यह है कि सरकार अपने लाडले अधिकारियों के प्रमोशन के लिए जरूर वैकल्पिक रास्ते बना ले रही है। राज्य में 5 हजार ऐसे अफसर हैं जिन्हें प्रमोशन के बजाए लाभ देने के लिए वैकल्पिक रास्ते निकाले गए हैं। सरकार एकल पद का निर्माण कर बड़े ओहदे वालों को प्रमोशन दिए जा रही है।

बता दें कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को राज्य सरकार के प्रमोशन नियमों (मप्र लोकसेवा पदोन्नति नियम 2000) को निरस्त कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जहां कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद से ही मप्र में प्रमोशन पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है। 

चुनिंदा अधिकारियों को कैसे मिल रहा प्रमोशन

प्रमोशन पर पूरी तरह रोक लगे होने के बावजूद सभी विभागों ने चुनिंदा अधिकारियों को तरक्की देने का वैकल्पिक तरीका निकाल लिया है। ऐसे अफसरों को एकल पद के नाम पर धड़ल्ले से प्रमोशन दिया जा रहा है। इसमें हाल ही में पंजीयक सहकारी संस्थाएं में डिप्टी रजिस्ट्रार से रजिस्ट्रार के पद पर पदोन्नति दी गई। इसके अलावा राज्य प्रशासनिक सेवा संवर्ग, राज्य पुलिस सेवा संवर्ग और वित्त सेवा के अफसरों को वैकल्पिक पदोन्नति देने के लिए पांच स्तरीय रचनाक्रम वेतनमान दिया जा रहा है। इतना ही नहीं अखिल भारतीय सेवाओं के नियमों का हवाला देते हुए पदोन्नति भी दी जा रही है।

हालाकि इन संवर्गों में अफसरों की संख्या 5 हजार के करीब ही है। बता दें कि पुलिस मुख्यालय ने भी कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, उप निरीक्षक और निरीक्षकों को मानद पदोन्नति दिए जाने की स्वीकृति मांगी है, लेकिन फिलहाल इस मांग पर शासन स्तर पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। वहीं लोक निर्माण विभाग में जूनियर इंजीनियर्स और सहायक अभियंताओं को उच्च पदों का प्रभार दिया जा रहा है। मंत्रालय में भी यही स्थिति बनी हुई है।