पोषण पुनर्वास केंद्र से बच्चे को घर ले आई मां, भरपेट खाना नहीं मिलने का लगाया आरोप

मध्य प्रदेश के उमरिया की घटना पर कांग्रेस ने कहा, शिवराज के राज में इंसानों के साथ कीड़े-मकोड़े सा व्यवहार, शिवराज जी भगवान से डरो, कुछ तो शर्म करो, उसकी अदालत में किसी को राज्यसभा नहीं जाना है

Updated: Feb 21, 2021, 04:40 AM IST

Photo Courtesy: Dainik Bhaskar
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भोपाल। उमरिया के पोषण पुनर्वास केंद्र पर गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। पोषण केंद्र से एक मां अपने 9 माह के कुपोषित बच्चे को महज तीन दिन के भीतर ले गई। मां का आरोप है कि केंद्र पर बच्चे को भरपेट खाना नहीं दिया जा रहा था। बच्चे नरेंद्र की मां रमंती बैगा का कहना है कि केंद्र पर डॉक्टर भी नियमित तौर पर नहीं आते हैं। कांग्रेस ने इस घटना को लेकर शिवराज सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए तीखा हमला किया है।

रमंती बैगा उमरिया ज़िले के कोहका गांव की रहने वाली हैं। उनका गांव उमरिया से करीब बीस किलोमीटर की दूरी पर है। रमंती के पति केस लाल मैगा दिहाड़ी मजदूर हैं। उनका नौ महीने का बच्चा कुपोषित है। बेटे नरेंद्र का वजन महज़ तीन किलो है। जबकि नौ महीने के बच्चे का वजन कम से कम 9 किलो होना चाहिए। 

बच्चे की हालत इतनी बुरी है कि उसके शरीर में हाथ पैर मांस से चिपकता जा रहा है। इसी कारण बच्चे को उसकी मां उमरिया ज़िले के पोषण पुनर्वास केंद्र पर ले गई थी। लेकिन वहां बच्चे को न तो भरपेट खाना मिला और न ही डॉक्टर नियमित तौर पर बच्चे की जांच करने आ रहे थे। यही वजह है कि रमंती ने बच्चे को वहां से वापस लाना ही बेहतर समझा।

सवाल यह है कि अगर घर पर बच्चे की सही देखभाल और इलाज़ मुमकिन होता तो उसे पोषण केंद्र तक ले जाने की नौबत ही क्यों आती? जाहिर है कि बच्चे की सेहत अब भी खतरे में है। पोषण केंद्र पर लग रहे इन आरोपों के मद्देनज़र ज़िला अस्पताल के आरएमओ संदीप सिंह ने पूरे मामले की जांच का भरोसा दिलाया है। इसके साथ ही उन्होंने बच्चे के इलाज का इंतज़ाम करने की बात भी कही है। 

कांग्रेस ने इस घटना को लेकर मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने कहा है, "कुपोषित बच्चे को न खाना, न डॉक्टर, मॉं अपने बच्चे को अस्पताल से ले गई; विधायक ख़रीदकर मुख्यमंत्री बने शिवराज के कलंकित राज में इंसानों के साथ कीड़े-मकोड़े सा व्यवहार किया जा रहा है। शिवराज जी, भगवान से डरो, कुछ तो शर्म करो। उसकी अदालत में किसी को राज्यसभा नहीं जाना है।"