शहडोल में मंदिर पर चला शिवराज सरकार का बुलडोजर, अतिक्रमण बता प्रशासन ने प्राचीन मंदिर को तोड़ा
शहडोल में जिला प्रशासन द्वारा मंदिर तोड़े जाने को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी, दिग्विजय सिंह बोले- कहां हैं हिंदू संगठन
शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में एक प्राचीन राधाकृष्ण मंदिर पर शिवराज सरकार का बुलडोजर चला है। बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन द्वारा मंदिर को अतिक्रमण के नामपर गिरा दिया गया। मंदिर तोड़े जाने को लेकर स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त है। मामले पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाते हुए पूछा है कि अब हिंदू संगठन कहां हैं?
रिपोर्ट्स के मुताबिक बुढ़ार थाना के नजदीक बुढ़ार-धनपुरी मार्ग पर राधा-कृष्ण का मंदिर था। शासकीय भूमि पर निर्मित दशकों पुराने इस मंदिर में आसपास के इलाकों के श्रद्धालु नियमित पूजा-पाठ करने आते थे। शनिवार को अचानक शहडोल एएसपी मुकेश वैश्य, अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा, एसडीएम व अन्य पुलिस अधिकारी वहां बुलडोजर लेकर पहुंचे और मंदिर में तोड़फोड़ शुरू कर दी गई।
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स्थानीय श्रद्धालु इस कार्रवाई के खिलाफ विरोध भी करते रहे लेकिन पुलिस अधिकारियों ने एक नहीं सुनी। अधिकारियों ने कहा कि अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई हो रही है और अवैध निर्माण को तोड़कर शासकीय जमीन मुक्त कराए जा रहे हैं। शहडोल एसपी अवधेश गोस्वामी ने दावा किया कि मंदिर की आड़ में निगरानी शुदा बदमाश शंकर सिंह ने शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर रखा था। हालांकि, स्थानीय लोग बताते हैं कि यह मंदिर 40-50 साल पुराना है।
मप्र के शहडोल जिले के बुढ़ार में वर्षों पुराना राधाकृष्ण जी का मंदिर प्रशासन ने गिरा दिया। मंदिर सरकारी जमीन पर था तो तोड़ने के बजाए अधिग्रहित क्यों नही किया गया?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) March 13, 2022
और यदि पट्टे की जमीन पर था तो इस भूमि का निराकरण न्यायालय में हो सकता था!
कहाँ हैं हिन्दू संगठन?
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मंदिर तोड़े जाने को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने सवाल खड़े किए हैं। सिंह ने पूछा है कि, 'यदि मंदिर सरकारी जमीन पर था तो तोड़ने के बजाए अधिग्रहित क्यों नही किया गया? और यदि पट्टे की जमीन पर था तो इस भूमि का निराकरण न्यायालय में हो सकता था! कहाँ हैं हिन्दू संगठन?'
सवाल ये है कि कोई गैरकानूनी गतिविधि इस मंदिर के नाम पर इलाके में पनप रही थी तो पुलिस ने उसपर कार्रवाई करने की बजाय मंदिर तोड़ने का विकल्प क्यों चुना। मंदिर यानी असंख्य सामाजिक आस्थाओं का केंद्र तोड़ना शायद प्रशासन के लिए आसान था बनिस्पबत अपराधी पर शिकंजा कसने के?