स्वतंत्र देश में राष्ट्र निर्माण ही सच्ची देशभक्ति का प्रतीक, स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कमलनाथ का संदेश
आइये, हम सब संकल्प लें कि हम लोकतंत्र और संविधान को मजबूत करेंगे। देश में सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और जातिवाद को नहीं बढ़ने देंगे। देश में ऐसे अवसर पैदा करने का प्रयास करेंगे कि हर व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार काम करने का अवसर मिल सके: कमलनाथ
भोपाल। भारत में आम आदमी से लेकर खास तक हर व्यक्ति 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंग चुका है। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपना संदेश जारी कर देशवासियों को शुभकामनाएं दी है। कमलनाथ ने कहा कि स्वतंत्र देश में राष्ट्र निर्माण ही सच्ची देशभक्ति का प्रतीक है।
कमलनाथ ने अपने संदेश में लिखा, 'स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें। आज का दिन बहुत ही खुशी का दिन है। आज हमारा देश स्वतंत्रता के 78 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। आज का दिन उन महान योद्धाओं को याद करने का दिन है, जिनके संघर्ष से हमें आजादी मिली। हम 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के वीरों महारानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई, तात्या टोपे, बादशाह बहादुर शाह जफर और मंगल पांडे जैसे शहीदों के कर्जदार हैं। हम आदिवासी विद्रोह के महानायक भगवान बिरसा मुंडा और टंट्या मामा को याद करते हैं।'
कमलनाथ ने आगे लिखा, 'हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, राष्ट्र निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू, राष्ट्र एकीकरण के नायक सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर, सरदार भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे असंख्य महापुरुषों को याद करते हैं। इन सबकी वीरता, पराक्रम और देशभक्ति की ताकत से ही हम अंग्रेजी राज को उखाड़कर स्वतंत्र भारत की स्थापना कर सके।'
कमलनाथ आगे लिखते हैं कि जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो याद आता है कि आजादी के समय आज से 77 साल पहले इस देश में लोगों के पास खाने को पर्याप्त अन्न नहीं था, पहनने के लिए सबके पास कपड़े नहीं थे, महामारी और अकाल से लाखों लोग बेमौत मारे जाते थे। 1943 में हमने बंगाल का भीषण अकाल देखा था जिसने 30 लाख लोगो को लील लिया था। अंग्रेज जो भारत छोड़कर गए थे, वह सोने की चिड़ियां नहीं, बल्कि अशिक्षा, गरीबी और भुखमरी से जूझता हिंदुस्तान था। वहीं, आज के हिंदुस्तान में अनाज के भंडार हैं, खेतों में सिंचाई हो रही है, बड़े-बड़े बांध और बिजलीघर हैं, कई कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं, आई.आई.टी., आई.आई.एम. और एम्स जैसी संस्थाएं हैं, अकाल और महामारी पुराने जमाने की बात हो चुकी हैं। भारत चंद्रयान और मंगलयान तक भेज रहा है। यह सब इसलिये हो सका कि इन 77 वर्षों में देश के नेताओं और नागरिकों ने मेहनत की और दुनिया में अपना मुकाम हासिल किया। यह भारतीय नागरिकों के परिश्रम और पुरुषार्थ का फल है।
कमलनाथ आगे लिखते हैं कि स्वतंत्रता दिवस पर हमें न सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करना चाहिए बल्कि पिछले 77 साल में पंडित नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेई, डॉ. मनमोहन सिंह सहित अन्य प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में हुए विकास कार्य को भी याद करना चाहिए। स्वतंत्र देश में राष्ट्र निर्माण ही सच्ची देशभक्ति का प्रतीक होता है। लेकिन हमने देखा कि पिछले कुछ वर्ष में देश के सामने कई चुनौतियां आई हैं। देश में अधिनायकवाद की ओर बढ़ने की प्रवृत्ति पनपी है। जिन लोगों को जनता ने अपने प्रतिनिधि की हैसियत से सत्ता में भेजा, वही लोग जनता के सेवक के बजाय शासक की तरह व्यवहार करने की कोशिश करने लगे। जिन लोगों का काम देश में सामाजिक सद्भाव बनाने का था, उन्होंने ही सांप्रदायिक भेदभाव बढ़ाने का काम किया। जिन लोगों की जिम्मेदारी सामाजिक गैर बराबरी समाप्त करने की थी, वही लोग जातिगत जनगणना कराने से दूर भागने लगे। यहां तक कि देश के संविधान को भी चुनौती देने की कोशिश की गई।
कमलनाथ आगे लिखते हैं लेकिन देश की जनता ने डटकर इस स्थिति का मुकाबला किया। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में जनता ने सत्ता के मद पर अंकुश लगाया और विपक्ष को मजबूत किया। लोकतांत्रिक प्रणाली में मजबूत विपक्ष सड़क से लेकर संसद तक जनता के हित का सबसे बड़ा पैरोकार होता है। देश में दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, महिलाओं और सर्व समाज के अधिकारों को सुनिश्चित कराने की आवश्यकता है। देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती नौजवानों को रोजगार नहीं मिलने की है। किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल रहा है। दलित, आदिवासी, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को शासन प्रशासन में समुचित भागीदारी नहीं मिल रही है। महिलाओं को सम्मान और न्याय नहीं मिल रहा है।
कमलनाथ अंत में लिखते हैं कि हमें मिलकर लोकतांत्रिक तरीके से इन सारी परिस्थितियों को बदलना है। हमें हर व्यक्ति को उसके अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करना है और ऐसे देश और प्रदेश का निर्माण करना है जो राष्ट्र निर्माताओं और संविधान निर्माताओं के सपने के अनुरूप हो। आइये, हम सब संकल्प लें कि हम लोकतंत्र और संविधान को मजबूत करेंगे। देश में सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और जातिवाद को नहीं बढ़ने देंगे। देश में ऐसे अवसर पैदा करने का प्रयास करेंगे कि हर व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार काम करने का अवसर मिल सके। हम सब मिलकर विकसित भारत का निर्माण करेंगे और अपने प्रदेश तथा देश को खुशहाल बनाएंगे।